HC में मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में याचिका, शादी में धोखाधड़ी से बचाने की गुहार

Update: 2016-09-30 23:08 GMT

लखनऊः इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में मुस्लिम औरतों को शादी के मामले में धोखाधड़ी से बचाने की गुहार संबंधी याचिका दाखिल की गई है। ये याचिका डॉ. सैयद रिजवान अहमद की ओर से आईपीसी की धाराओं के तकनीकी पक्ष का जिक्र करते हुए दाखिल की गई है। इसमें पहले की शादी को छिपाकर दूसरी शादी करने को अपराध मानने की मांग की गई है।

किन धाराओं का जिक्र है?

याची ने कहा है कि आईपीसी की धाराओं के मुताबिक अगर मुस्लिम पुरुष ऐसा करता है तो वह दोषी नहीं ठहराया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि शादीशुदा होने पर भी कोई दूसरी शादी करता है और पहली शादी कोर्ट से शून्य घोषित न हो तो वह आईपीसी की धारा 494 के तहत दोषी होगा। इसके लिए सात साल कैद की सजा है। जबकि, धारा 495 के तहत जो भी धारा 494 में पहले की शादी छिपाए उसे 10 साल कैद की सजा होगी।

याची की क्या है दलील?

याची ने दलील दी है कि मुस्लिम मर्द के पास बहु विवाह का हक है। इसलिए वह धारा 494 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह वह धारा 495 से भी बच जाता है। अगर ऐसा ही मुस्लिम महिला करे, तो वह दोनों धाराओं के तहत दोषी ठहराई जा सकती है। याची के मुताबिक इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए निकाहनामे में पुरुष के लिए उसकी पहले की शादी का जिक्र जरूरी किया जाए।

केंद्र ने किया विरोध?

जस्टिस एसएन शुक्ला और जस्टिस अनंत कुमार की बेंच के सामने याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने याचिका का विरोध किया। केंद्र सरकार का इस मामले में कहना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसके बाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय कर दी।

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