कविता: फिर तेज हवा का...

Update:2018-07-13 16:39 IST

अब्बास रजा अलवी

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है

शायद तुमने फिर याद किया चिठ्ठी का रंग बतलाता है।

 

शायद अमिया के पेड़ों पर फिर बौर नया लग आया हो

कोयल की गूँजी कु कू ने हर गीत मेरा दोहराया हो।

फिर पक्षी डाल पे डोला हो हर गुन्चा गुन्चा झूला हो

बीते बचपन की यादों में क्यों बिछड़ा पल तड़पाता है।

 

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है

 

शायद पीपल की छावों में एक याद सताने लगती हो

बीते बचपन की बातों में ये बात रूलाने लगती हो।

 

क्यों रिश्ते नाते टूट गए क्यों साथी सारे छूट गए

किस्मत ने कैसी चाल चली क्यों हर पल तुम्हें रुलाता है।

 

फिर तेज हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है॥

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