कविता: फूल ने सीखा- मैं तुझे उपहार में, कुछ पुष्प देना चाहती हूँ 

Update:2018-06-30 14:12 IST

आभा सक्सेना दूनवी

मैं तुझे उपहार में

कुछ पुष्प देना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ

 

हाथ में हैं फूल इतने

नाम क्या हैं मैं तो भूली

याद आते हैं न मुझ को

कितना मैं यादों में झूली

मेरा मकसद है यही बस

प्यार देना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ!!

 

जब मैं दूँगी पुष्प तुझको

तू गले लग जाएगी

एक निश्छल मुस्कराहट

होठों पर खिल जाएगी

ओ सखी, प्यारी सखी

मैं पल वो जीना चाहती हूँ

बात कुछ भी है नहीं

बस मन की करना चाहती हूँ!!

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