हे भोले आज मेरा रंग कुछ तेरे संग ऐसा रंग जाए।
ऐसी भक्ति दे मुझे,मेरा तन मन सब कुछ आज नीलकंठ हो जाए।।
मैं कर दूं तुझ को सब कुछ अपना अर्पण।
तू मेरे तन मन मे बन श्रृंगार मुझ में बस जाए।।
जल,दूध,इत्र,केसर,चीनी,दही या भांग कुछ भी बनना मंजूर मुझे।
कुछ भी बना मुझे जिससे मुझे तेरा आलिंगन हो जाये।।
एक आलिंगन को तेरे जलकर भस्म भी बनना मंजूर है मुझे।
एक बार मुझे शरीर पर लगाओ,तो ये भस्म भी मेरी चंदन हो जाये।।
जहर ईर्ष्या का भरा मेरे तन मन मे,ये मानता हूँ मैं।
हाँ मान जाओ तुझे,जो मुझे विष समझ कर ही तू पी जाएं।
मुंडमाला गले मे धार कर मृत्यु को वश में किया आपने।
थाम ले गर मुझे भी इस तरह,तब मेरा भी तेरे कंठ से आलिंगन हो जाये।।
अहंकार से भरे व्याग्र(बाघ) जैसा बनना भी मंजूर है मुझे।
गर मुझे मार कर मेरी खाल को पहन कर मुझ पर विराजना तुझे मंजूर हो जाए।।
कर कृपा मुझ पर हे भोले नाथ अब कुछ इस तरह।
मन मेरा तेरी जटाओं से निकला हुआ गंगाजल हो जाये।।