तीर्थराज प्रयाग को कुम्भ के साथ देश को दो प्रधानमंत्री देने का भी श्रेय
इस तरह वर्ष 1984 के बाद इलाहाबाद सीट से कांग्रेस एकदम बाहर हो गयी। 1951-42 में हुए पहले लोकसभा के चुनाव में इलाहाबाद सीट से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीप्रकाश कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे।
धनंजय सिंह
प्रयागराज: तीर्थराज प्रयाग भले ही कुम्भ के लिए जाना हो किन्तु राजनैतिक रूप से इलाहाबाद सीट ने देश के दो प्रधानमंत्रियों को सांसद बनाने का श्रेय प्राप्त है। हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर फिल्मी दुनिया के महानायक अमिताभ बच्चन और भाजपा के कद्दावर नेता डा. मुरली मनोहर जोशी तक यहीं से संसद की ड्योढ़ी तक पहुंचे हैं। यह सीट उस समय पूरी दुनिया में चर्चित हुई थी जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह यहां से निर्दलीय सांसद चुने गये थे।
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में इलाहाबाद की इस हाई प्रोफाइल सीट से भारतीय जनता पार्टी ने उप्र सरकार की कैबिनेट मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी को टिकट दिया है। वह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में कई बार मंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं। डा. रीता बहुगुणा के मुकाबले में गठबंधन की तरफ से सपा के उम्मीदवार राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल और कांग्रेस से योगेश शुक्ला समेत कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस सीट के लिए छठे चरण में 12 मई को मतदान है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या करीब 17 लाख है।
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इलाहाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा और कोरांव शामिल हैं। वर्तमान विधानसभा में इन पांच सीटों में से चार पर भाजपा का कब्जा है, जबकि करछना सीट सपा के खाते में है। सोलहवीं लोकसभा का चुनाव भी भाजपा ने ही यहां से जीता था। इस तरह चुनावी समीकरणों के आधार पर अगर देखा जाए, तो भाजपा का पलड़ा यहां भारी लगता दिख रहा है। भाजपा उम्मीदवार डा. रीता बहुगुणा के पिता हेमवती नंदन बहुगुणा की इलाहाबाद कर्मभूमि रही है। उन्होंने जिले का बहुत विकास किया था।
35 सालों से वनवास झेल रही कांग्रेस
इलाहाबाद सीट के लिए अब तक कुल 16 बार आम चुनाव व दो बार उपचुनाव हुए हैं। इसमें कांग्रेस को आठ बार जीत मिली है, जबकि भाजपा ने चार बार यहां पर भगवा लहराया है। सपा और जनता दल ने दो-दो बार एवं भारतीय लोकदल ने यहां एक बार खाता खोला है। कुम्भ नगरी की इस प्रतिष्ठापरक सीट से एक बार निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव जीता है। यह निर्दलीय उम्मीदवार कोई और नहीं बल्कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थे। राजीव गांधी की सरकार में वर्ष 1984 में उन्हें केंद्रीय वित मंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ समय बाद ही बोफोर्स दलाली मुद्दे पर उन्होंने राजीव गांधी के खिलाफ बगावत कर दी। परिणामस्वरुप उन्हें मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
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इस बीच अमिताभ बच्चन के इस्तीफे के बाद 1988 में इलाहाबाद सीट के लिए उपचुनाव घोषित हुआ तो वीपी सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में ताल ठोंक दी। यद्यपि उस समय केंद्र और प्रदेश दोनों स्थानों पर कांग्रेस की सरकार थी लेकिन, कांग्रेस इस उपचुनाव में बुरी तरह पराजित हुई और वीपी सिंह यहां से सांसद निर्वाचित हुए। इसके एक साल बाद ही हुए आम चुनाव में वीपी सिंह के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बोफोर्स दलाली और विदेशों में जमा काला धन के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और चुनाव बाद वह देश के आठवें प्रधानमंत्री बने।
इस तरह वर्ष 1984 के बाद इलाहाबाद सीट से कांग्रेस एकदम बाहर हो गयी। 1951-42 में हुए पहले लोकसभा के चुनाव में इलाहाबाद सीट से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीप्रकाश कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री यहां से 1957 और 1962 का चुनाव जीते। शास्त्री के निधन के बाद उनके बेटे हरिकृष्ण शास्त्री 1967 में इलाहाबाद से सांसद चुने गये। फिर 1971 में हेमवती नंदन बहुगुणा यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते।
वर्ष 1977 के चुनाव में छोटे लोहिया के नाम से प्रसिद्ध जनेश्वर मिश्र ने पहली बार गैर कांग्रेसी उम्मीदवार के रुप में इलाहाबाद सीट से भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव जीता। हालांकि, 1980 के चुनाव में कांग्रेस यहां फिर वापस आ गयी और वीपी सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। साल भर बाद हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस के ही केपी तिवारी यहां से चुने गये। आखिरी बार 1984 में अमिताभ बच्चन ने यहां कांग्रेस का झंडा गाड़ा। इसके बाद जब कांग्रेस इलाहाबाद के चुनावी मैदान से गायब हुई तो आज तक वह वनवास ही झेल रही है।
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भाजपा ने इस सीट पर 1996 में भगवा फहराया। पार्टी के वरिष्ठ नेता डा0 मुरली मनोहर जोशी इस सीट से लगातार तीन बार जीतकर हैट्रिक लगाये। वहीं 2004 और 2009 के चुनाव में लगातार दो बार सपा के कद्दावर नेता कुंवर रेवती रमण सिंह सांसद चुने गए थे। 2014 के आम चुनाव में यहां से भाजपा के श्यामा चरण गुप्त जीते थे। पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह सपा में चले गये और बांदा संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
ये रहे अब तक के सांसद
1952 - श्रीप्रकाश - कांग्रेस
1957 - लाल बहादुर शास्त्री - कांग्रेस
1962 - लाल बहादुर शास्त्री - कांग्रेस
1967 - हरिकृष्ण शास्त्री - कांग्रेस
1971 - हेमवती नंदन बहुगुणा - कांग्रेस
1977 - जनेश्वर मिश्रा - भारतीय लोक दल
1980 - विश्वनाथ प्रताप सिंह - कांग्रेस
1981 (उपचुनाव) - केपी तिवारी - कांग्रेस
1984 - अमिताभ बच्चन - कांग्रेस
1988 (उपचुनाव) - वीपी सिंह - निर्दलीय
1989 - जनेश्वर मिश्रा - जनता दल
1991 - सरोज दुबे - जनता दल
1996 - डा0 मुरली मनोहर जोशी - भाजपा
1998 - डा0 मुरली मनोहर जोशी - भाजपा
1999 - डा0 मुरली मनोहर जोशी - भाजपा
2004 - कुंवर रेवती रमण सिंह - सपा
2009 - कुंवर रेवती रमण सिंह - सपा
2014 - श्यामा चरण गुप्त - भाजपा