राहुल और प्रियंका के बयानों से असमंजस में कांग्रेस के कार्यकर्ता

बड़ा ही कन्‍फ्यूजन है। लोकसभा के पांचवें चरण के मतदान से तीन दिन पहले कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अचानक बड़े असमंजस में पड़ गए हैं। उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 6 मई को वोट पड़ने वाले हैं। कांग्रेस ने हर जगह अपने उम्‍मीदवार उतार रखे हैं।

Update: 2019-05-04 11:18 GMT

रतिभान त्रिपाठी

लखनऊ: बड़ा ही कन्‍फ्यूजन है। लोकसभा के पांचवें चरण के मतदान से तीन दिन पहले कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अचानक बड़े असमंजस में पड़ गए हैं। उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 6 मई को वोट पड़ने वाले हैं। कांग्रेस ने हर जगह अपने उम्‍मीदवार उतार रखे हैं। अपने अध्‍यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रिंयंका वाड्रा के बयान के बाद अब वह अपने किस उम्‍मीदवार के लिए वोट मांगें और किसे हराने के लिए प्रचार करें। इस बयानबाजी से कार्यकर्ता न केवल हताश हैं, वरन आक्रोशित भी हैं। जनता के बीच उन्‍हें सवालों के जवाब देनें पड़ रहे हैं और हास्‍यास्‍पद हालात का सामना करना पड़ रहा है।

रायबरेली के ऊंचाहार में समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पाण्‍डेय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के लिए न केवल सपा की ओर से मंच सजा दिया वरना पार्टी के टोपीधारियों से एक विशाल माला पहनवाकर उनका अभिनंदन भी कर दिया। कांग्रेसजन इसका कुछ मंतव्‍य समझते, तब तक पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी का बयान आ गया कि जहां कांग्रेस उम्‍मीदवार मजबूत हो उसे जिताएं और जहां न हो, वहां गठबंधन के उम्‍मीदवार को वोट देने के लिए कहें। ऐसा कहकर राहुल गांधी ने उत्‍तर प्रदेश के कांग्रेसजनों के सामने 2017 के चुनाव से भी ज्‍यादा दुरूह स्‍थिति पैदा कर दी है। उस समय तो “27 साल यूपी बेहाल” यात्राएं निकालते-निकालते अचानक नया नारा चल निकला कि “यूपी को दो युवकों का साथ पसंद है।“ दो युवकों का साथ पसंद है का नारा तो चुनाव से कुछ पहले था लेकिन मौजूदा बयान तब आया है जब चार चरणों की वोटिंग हो चुकी है। ऐसे में कार्यकर्ता हैरान हैं।

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इधर राजधानी लखनऊ में पटना के कांग्रेस उम्‍मीदवार शत्रुघ्‍न सिन्‍हा अपनी पत्‍नी और सपा उम्‍मीदवार पूनम सिन्‍हा के समर्थन में सपा अध्‍यक्ष के नाथ न केवल मंच साझा किया वरन अपनी ही पार्टी के उम्‍मीदवार प्रमोद कृष्‍णम के खिलाफ अपनी पत्‍नी के लिए वोट मांगा। इसीलिए तो प्रमोद कृष्‍णम राहुल गांधी पर तो तत्‍काल कुछ नहीं बोल पाए लेकिन शत्रुघ्‍न सिन्‍हा पर खूब बरसे। यहां तक बोल गए कि शत्रुघ्‍न कांग्रेस में जरूर शामिल हो गए हैं लेकिन आरएसएस का चोला अब भी पहने हुए हैं। आज इसी मसले पर टीवी चैनलों में दिन भर कांग्रेस की लानत मलानत होते हुए देखी गई।

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मसला बड़ा गंभीर हो चला है। एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा कि हमारे लीडर ही पार्टी का बंटाढार करने पर आमादा हैं। यह पूछने पर कि अखिलेश यादव जब कांग्रेस को वोटकटवा पार्टी कहते हैं और मायावती भाजपा व कांग्रेस को एक ही थैली के चट्टे–बट्टे करार देती हैं तो फिर कांग्रेस इन्‍हें जबरन वोट क्‍यों दिलवाना चाहती है, कांग्रेस प्रवक्‍ता अभय अवस्‍थी कहते हैं कि यह पार्टी की सोची समझी रणनीति है। जिन इलाकों में गैरभाजपा पार्टियां अधिक मजबूत थीं, उस समय हम सब अलग-अलग लड़े लेकिन अब यूपी के जिस इलाके चुनाव होंने हैं, वहां नई रणनीति अपनानी पड़ी ताकि भाजपा को चुनाव में हराया जा सके। हालांकि कांग्रेस के ही कुछ नेता इस तरह के तर्कों और रणनीति की बातें खारिज कर रहे हैं।

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