राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना, कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना

Update:2016-04-13 17:14 IST

लखनऊ: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मदिन चैत्र शुक्ल मास की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 15 अप्रैल 2016 को मनाया जाएगा। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष नए विक्रम सवंत्सर की शुरुआत होती है और उसके आठ दिन बाद ही चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी मनाया जाता है, इस दिन श्रद्धालु गंगा, यमुना और दूसरी अन्य नदी में स्नान करके पुण्य कमाते हैं।

ऐसे करें रामनवमी की पूजा

ज्योतिषाचार्य सागर जी महाराज के अनुसार रामनवमी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, घंटी और एक शंख हैं। पूजा के बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य परिवार के सभी सदस्यों को टीका लगाएं। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन चढ़ाएं। इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाए। पूजा के बाद भगवान श्रीराम की आरती उतारें। जो भक्त इस दिन उपवास करते हैं वो शाम के वक्त पूजा-अर्चना करने के बाद उपवास का समापन करें। आरती के बाद गंगाजल घर में छिड़के ।

रामनवमी का महत्व

हिंदूधर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने और धर्म की पुन: स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्रीराम के रुप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन राजा दशरथ के घर में हुआ था।

रामनवमी इस पर्व के साथ ही मां दुर्गा नवरात्रि का समापन भी होता है। इससे ज्ञात होता है कि भगवान श्री राम जी ने भी देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की थी। उनके द्वारा की गई शक्ति की पूजा से उन्हें धर्म युद्ध में विजय मिली थी। इस प्रकार इन दो महत्वपूर्ण त्योहारों का एक साथ होना पर्व की महत्ता को और भी अधिक बढ़ा देता है। रामनवमी का व्रत पापों का क्षय करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला है।

करें हनुमान जी आराधना

रामनवमी का पर्व वैसे तो भगवान श्री राम के जन्म का पर्व है, लेकिन यदि इस पर्व पर श्रीराम के साथ-साथ हनुमान की आराधना की जाए तो पर्व मनाने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। श्री हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं और भगवान के साथ भक्त की आराधना की जाए तो ये चार गुणा फल प्रदान करने वाला होता है। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं और वह इच्छित फल प्रदान करते हैं।

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