संतकबीर नगर सांसद का रिपोर्ट कार्ड: विकास में फिसड्डी

Update:2019-03-29 17:15 IST

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: फेम इंडिया श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार-2018 की उम्मीद श्रेणी में शामिल 25 सांसदों में पहले स्थान पर रहने वाले शरद त्रिपाठी की भले ही संसद में बेहतर छवि हो लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र में स्थिति इसके ठीक उलट है। शरद की छवि क्षेत्र में ऐसे सांसद की है जो चार साल तक गायब ही रहे हैं। आम लोगों के बीच नहीं रहे। बैठकों से लेकर लोगों के सुख दुख में शामिल नहीं होने के कारण लोगों में सांसद के प्रति गुस्सा है। छवि को लेकर रही सही कसर अपने ही विधायक के खिलाफ चर्चित जूताकांड ने पूरी कर दी। चुनावी साल में पीएम मोदी से लेकर रेल मंत्री का कार्यक्रम उनके राजनीतिक रसूख को भले ही बयां करे, लेकिन यह क्षेत्र की जनता के दिलों में स्थान पाने के लिए पर्याप्त नहीं दिख रहा है।

घाघरा और राप्ती नदी के किनारे के संसदीय क्षेत्र संतकबीर नगर पिछले पांच वर्षों में दो वजहों से सुखिर्यों में रहा है। पहला, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विवादित मगहर दौरा तो दूसरा सांसद शरद त्रिपाठी और मेहदावल के भाजपा विधायक राकेश बघेल के बीच हाथापाई और जूतमपैजार। इन दो चर्चित घटनाओं ने संतकबीर नगर को भले ही राष्ट्रीय फलक पर सुर्खियों में ला दिया लेकिन विकास के नाम पर उसके हिस्से ठेंगा ही मिला है। केन्द्रीय और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को छोड़ दें तो पूरे संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ा काम होता नहीं दिखा। कमोबेश सभी कार्य भविष्य में ही शायद पूरे हों। चुनाव के समय शरद और उनके पिता डॉ. रमापति राम त्रिपाठी ने बंद पड़ी चीनी मिल व कताई मिल को चालू कराने को लेकर वादे किए। संत कबीरदास की परिनिर्वाण स्थली और बखिरा पक्षी विहार के विकास को लेकर वादे हुए तो बखिरा वर्तन उद्योग को पुनर्जीवन देने का भरोसा भी दिया। आमी बचाओ मंच के संयोजक विश्वविजय सिंह आरोप लगाते हैं कि मगहर से सटकर बहने वाली जीवनदायनी और गंगा की सहयोगी आमी नदी के पेट में जमे जहर को साफ करने के बारे में भी कोई प्रयास होता नहीं दिखा।

संतकबीर नगर संसदीय क्षेत्र से शरद त्रिपाठी को 2014 में जीत मिली तो तीन वजहों से उन्होंने चर्चाएं बंटोरी। पहला कि वह पूर्व भाजपा अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी के पुत्र हैं। दूसरा, उन्होंने पंडित हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्मशंकर तिवारी को हराकर जीत हासिल की थी व तीसरा यह कि वह प्रदेश के चुनिंदा युवा सांसदों में शुमार थे। अब शरद का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने को है। ऐसे में उनके रिपोर्ट कार्ड पर नजर दौड़ाएं तो पीएम के मगहर और रेल मंत्री के दौरे को छोडक़र शरद के खाते में खास उपलब्धियां नजर नहीं आतीं। क्षेत्र में उनकी मौजूदगी को लेकर भी आम लोग संतुष्ट नहीं हैं। घाघरा और राप्ती के किनारे बसा संत कबीर नगर बस्ती मंडल का हिस्सा है। चिकित्सक डॉ संजय कुमार का कहना है कि संतकबीरनगर प्रदेश के उन 34 जिलों में शामिल है, जिसे अति पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष सहायता मिलती है। इसके बाद भी क्षेत्र के विकास को लेकर कुछ खास नहीं हुआ है।

मगहर सूफी संत कबीर दास के कारण पर्यटन के मानचित्र पर दर्ज है। लाखों श्रद्धालु देश भर से यहां आते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर यहां कुछ खास नहीं है। बखिरा का पक्षी विहार और बर्तन उद्योग सिर्फ चुनावी मुद्दा बन कर रह गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर बखिरा का बर्तन उद्योग ‘एक जिला एक उत्पाद योजना’ में चयनित हुआ है लेकिन इसकी बेहतरी को लेकर योजनाएं कागजों में ही हंै। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बर्तन उद्योग के लिए 2016 में नई कलस्टर योजना शुरू की लेकिन यह विवादों में फंस कर रह गई। बर्तन उद्यमी और कारीगर कलस्टर योजना के प्रबंधक कैलाश नाथ त्रिपाठी को सांसद का रिश्तेदार बताकर विरोध कर चुके हैं। उद्यमियों ने सांसद की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाल कर प्रबंधन को हटाने की मांग की थी। चार पीढिय़ों से बर्तन कारोबार में लगे महेश कुमार कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी बर्तन की ऑनलाइन बिक्री से लेकर प्रदर्शनी का आयोजन कर बेहतरी का दावा कर रहे हैं लेकिन कच्चे माल, आर्थिक सहयोग, ऋण की सुविधा के नाम पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।

बखिरा प़क्षी विहार के लिए कोई सार्थक योजना बनाने में शरद नाकाम रहे हैं। प्रवासी पंक्षियों के संगम व पर्यटन की दृष्टि से महत्ता को देखते हुए वर्ष 1990 में इसे पक्षी विहार घोषित किया गया। 29 वर्षों बाद भी करीब 3 हजार हेक्टेयर में फैले पक्षी विहार की स्थिति जस की तस है।

संसद की मौजूदगी में अव्वल रहे शरद

गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में संसद में मौजूदगी के मामले में शरद त्रिपाठी अव्वल रहे हैं। 16वीं लोकसभा के दौरान कुल 331 बैठकें हुईं, इनमें से 322 दिन शरद त्रिपाठी मौजूद रहे। चर्चा में हिस्सा लेने वालों में शरद का प्रदर्शन अच्छा रहा। कुल 32351 चर्चाओं में शरद ने 644 में हिस्सा लिया। सांसद निधि खर्च करने के मामले में शरद का रिकार्ड कुछ खराब है। पांच वर्षों में उन्होंने करीब 17.49 करोड़ रुपए क्षेत्र के विकास पर खर्च किया। शरद त्रिपाठी विदेश मामलों से सम्बन्धित स्थाई समिति के सदस्य भी हैं। अब तक उन्होंने तीन प्राइवेट मेम्बर बिल पेश किए हैं।

गोद लिए गांव में नहीं दिखता विकास

सांसद शरद त्रिपाठी ने मेहदावल ब्लाक के गांव साड़ेखुर्द को विकसित करने के लिए गोद लिया था। 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने को है लेकिन 2 करोड़ रुपए से अधिक खर्च के बाद भी गांव में विकास नहीं दिख रहा है। 2017 में राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के सवाल के जवाब में बताया गया था कि साड़ेखुर्द गांव में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत 54.04 लाख, मनरेगा से 08.52 लाख तथा अन्य योजना में 141.818 लाख खर्च हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कृषि से संबंधित विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल सका। इसी तरह डाकघर, खेल मैदान सहित कई और विकास कार्य संचालित नहीं किए जा सके। सांसद के गोद लिए गांव में सीसी रोड, जल निकासी के लिए लंबी नाली सहित अन्य कार्य धरातल पर नहीं हो सके हैं।

टिकट को लेकर मुश्किल में शीर्ष नेतृत्व

अपने ही पार्टी के मेहदावल से विधायक राकेश बघेल के साथ शिलान्यास के शिलापट्ट को लेकर हुए विवाद में जूताकांड के चलते न सिर्फ पार्टी की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है, बल्कि ठाकुर और ब्राह्मण राजनीति को लेकर घमासान तेज हो गया है। जूताकांड से पहले शरद का टिकट कटना तय माना जा रहा था लेकिन बदली परिस्थितियों में पार्टी नेतृत्व के लिए टिकट काटना आसान नहीं दिख रहा है। सीट से सपा के पुराने नेता और पूर्व सांसद भालचन्द्र यादव के भगवा चोला पहनने की खूब चर्चा है।

ऐसा होता है कि ब्राह्मण अस्मिता के नाम पर गठबंधन उम्मीदवार भीष्मशंकर त्रिपाठी की राह आसान होती दिख रही है। बदली परिस्थितियों को यह सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी प्रतिष्ठा की बन चुकी है। उधर, जूताकांड के बाद शरद के पिता और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नये सिरे से बेटे के लिए माहौल बनाने में जुट गए हैं।

नई रेलवे लाइन और मगहर में अकादमी का शिलान्यास

सांसद शरद त्रिपाठी के खाते में बड़ी उपलब्धि अचार संहिता लगने के चंद दिनों पहले आई जब संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती व बहराइच को जोडऩे वाली रेल परियोजना का शिलाल्यास रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किया। करीब पांच हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना से पांच जिले के लोगों को सीधा लाभ होगा। रेल मंत्री ने इस परियोजना को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और समाजसेवी नानाजी देशमुख को समर्पित किया है। कोंकण रेलवे के बाद दूसरी सबसे बड़ी रेल लाइन अटल बिहारी वाजपेयी व नानाजी देखमुख के कर्म क्षेत्र से होकर गुजरेगी। रेल व दूरसंचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा का कहना है कि रेल लाइन कई प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोडऩे के साथ ही नेपाल को भी भारत से जोड़ेगी। इस रेल लाइन को सहजनवां तक बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा मगहर में बीते वर्ष पीएम नरेन्द्र मोदी के दौरे को भी शरद की उपलब्धि मानी जा रही है। पीएम ने यहां संत कबीर अकादमी का शिलान्यास किया है। करीब तीन एकड़ में फैली अकादमी पर 24 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। अकादमी में संत कबीर के जीवन और दर्शन पर शोध, सर्वेक्षण, प्रकाशन और प्रदर्शन का कार्य होगा।

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