भोपालः मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा दिग्विजय के खिलाफ इस सीट से मैदान में उतार सकती है।कांग्रेस द्वारा भोपाल लोकसभा सीट से अपने दिग्गज नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनावी रण में उतारने के फैसले के बाद भाजपा इस सीट से अपना कोई मजबूत प्रत्याशी उतारने के लिए मंथन कर रही है ताकि पार्टी के इस गढ़ में कांग्रेस की सेंध लगाने की मंशा कामयाब नहीं हो सके।
मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन हासिल है शिवराज को
भाजपा महकमे में कयास लगाये जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी दिग्विजय के खिलाफ इस सीट से मैदान में उतार सकती है। 18 लाख मतदाताओं वाली भोपाल संसदीय सीट पर चार लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जिनमें से काफी चौहान के समर्थक हैं।
भाजपा का गढ़ रही है यह सीट
पिछले तीन दशकों से भोपाल लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रहा है। इसलिए इस सीट को बनाए रखने के इरादे से पार्टी ने अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया है।
शिवराज के सवाल पर गोलमोल जवाब
मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह से जब सवाल किया गया कि क्या भाजपा भोपाल सीट से दिग्विजय के खिलाफ चौहान को मैदान में उतारेगी, इस पर उन्होंने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अभी कुछ भी नहीं कह सकता हूं। पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व ही उनके (चौहान) बारे में निर्णय करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह (चौहान) पूर्व मुख्यमंत्री हैं। केन्द्रीय नेतृत्व निर्णय करेगा कि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाना है या नहीं।’’
दिग्विजय चुनाव जीतने वाला चेहरा नहीं
दिग्विजय के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार के बारे में पूछे जाने पर राकेश ने कहा, ‘‘आप सभी दिग्विजय सिंह को टफ उम्मीदवार मानते हैं। मगर मैं अपने मित्र से भी यही कह रहा था और आपसे भी कह रहा हूं कि दिग्विजय का चुनाव हारना तय है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘दिग्विजय सिंह चुनाव जीतने वाला चेहरा नहीं हैं। वह माहौल बिगाड़ने वाला चेहरा हो सकते हैं। हम नहीं मानते कि दिग्विजय भोपाल से जीतेंगे।’’
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राकेश ने हंसते हुए पूछा, ‘‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने दिग्विजय को भोपाल सीट से खड़ा कराया है। कमलनाथ ने जिताने के लिए उन्हें खड़ा कराया है क्या?’’
दिग्विजय तो राजगढ़ से लड़ना चाहते थे
राघौगढ़ राजघराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय अपने गृह जिले स्थित राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कमलनाथ ने उन्हें मुश्किल सीट भोपाल पर चुनाव लड़ने को कहा। राजगढ़ से वह वर्ष 1984 एवं 1991 में कांग्रेस की टिकट पर जीत कर सांसद रह चुके हैं।
इस बीच, यहां मध्य प्रदेश भाजपा के आला नेताओं ने रविवार को बंद कमरे में बैठक की। इस बैठक में मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह, शिवराज सिंह चौहान एवं पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत शामिल थे। बैठक में मुख्य रूप से दिग्विजय के खिलाफ भाजपा का मजबूत उम्मीदवार चयन करने के बारे में चर्चा हुई।
भोपाल की तीन विस सीटें जीत चुकी है कांग्रेस
भोपाल संसदीय सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस जीती थी, जबकि भाजपा पांच सीटों पर जीती थी। हालांकि, भाजपा को इन आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस से ज्यादा मत मिले थे, लेकिन दोनों दलों के बीच मतों का अंतर ज्यादा नहीं था।
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भाजपा के एक नेता ने बताया, ‘‘भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने पहले भोपाल के महापौर आलोक शर्मा और भाजपा के प्रदेश महासचिव वी डी शर्मा का नाम पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समित को भेजा था। लेकिन कांग्रेस द्वारा दिग्विजय को भोपाल सीट से उतारे जाने के बाद भाजपा ‘बी प्लान’ पर काम कर रही है।’’ कांग्रेस ने वर्ष 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट से जीत दर्ज की थी। तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसके चलते भोपाल से के. एन. प्रधान जीते थे।
तीस साल से है भाजपा का कब्जा
इस सीट पर पिछले 30 साल से भाजपा का कब्जा है। इस सीट को भाजपा ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से छीनी थी और तब से लेकर अब तक इस सीट पर आठ बार चुनाव हुए हैं और आठों बार भाजपा ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को धूल चटाया है। भोपाल के मौजूदा सांसद आलोक संजर हैं और उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से 3.70 लाख से अधिक मतों से विजय प्राप्त की थी। भोपाल सीट पर 12 मई को मतदान होगा।