दुर्गेश पार्थसारथी
गुरदासपुर। सूरज की प्रचंड गर्मी से जहां लोगों का हाल बेहाल है, वहीं पंजाब की राजनीति में सनी देओल की एंट्री से यहां का सियासी पारा भी सातवें आसमान पर है। सनी के गुरदासपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन के दौरान जिस तरह से छोटे-बड़े स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के नेता एक साथ खड़े दिखे उससे लगता है कि भाजपा किला फतह करने के लिए पूरी तरह तैयार है। किसी बड़े लीडर की तरह पर्चा दाखिला से पहले सनी देओल ने अमृतसर आकर श्री हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) और दुग्र्याणा तीर्थ में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसे उनकी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय माना जा रहा है क्योंकि स्वर्ण मंदिर और दुग्र्याणा तीर्थ सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र भी है। सनी ने भी गुरु घर में अरदास से लेकर मंदिर का घंटा बजाकर राजनीतिक समर का आगाज कर दिया है।
पंजाब की तीन सीटों में से दो सीटें (अमृतसर और गुरदासपुर) गंवा चुकी बीजेपी एक तरह से राजनीति के हाशिए पर पहुंच गई थी। सनी देओल के गुरदासपुर से नामांकन दाखिल करने के साथ ही न केवल भाजपा को नवजोत सिंह सिद्धू की काट और गुरदासपुर जीतने की उम्मीद जगी है बल्कि शिरोमणि अकाली दल को भी संजीवनी मिल गई है।
सनी की एंट्री प्रभावित करेगी चार सीटें
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सनी देओल के चुनाव लडऩे से न केवल कांग्रेस के सुनील जाखड़ की गुरदासपुर की सीट खतरे में है बल्कि इसका असर अमृतसर होशियारपुर और लुधियाना में भी दिखेगा। विश्लेषकों का मानना है कि सनी देओल का फैमिली बैकग्राउंड लुधियाना का है जिसका भावनात्मक लाभ लुधियाना से शिअद उम्मीदवार को मिलना तय है। इसके साथ ही सनी अमृतसर, होशियारपुर और जालंधर में भी चुनाव प्रचार कर सकते हैं। सनी गदर, जट यमला और पगला दीवाना सहित कई फिल्मों की शूटिंग भी अमृतसर और लुधियाना में कर चुके हैं।
राजनेता की तरह दिखे सनी देओल
गुरदासपुर में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिला के बाद सनी देओल ने एक संक्षिप्त जनसभा की। इस दौरान उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए सनी ने लोगों की उन हर रगों पर हाथ रखा जो राजनीति में जरूरी होता है। अपने भाषण में उन्होंने धर्मेंद्र का नाम तो लिया ही, साथ ही अपने को राजनीति में नया बताते हुए यह भी कहा कि वह गुरदासपुर के पूर्व सांसद स्वर्गीय विनोद खन्ना के अधूरे सपनों को पूरा करने आए हैं। गुरदासपुर उनकी कर्मभूमि होगी और यहां के लोगों का दुखदर्द हमारा दुखदर्द होगा। सनी ने यह भी कहा कि वह कोई बाहरी नहीं बल्कि उनके अपने पंजाब के लुधियाना वाले हैं। सनी के भाषण के दौरान विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना और उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे स्वर्ण सलारिया और अन्य स्थानीय नेताओं की मौजूदगी यह बता रही थी कि सब साथ-साथ हैं।
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भाजपा का भारी जीत का दावा
विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और पठानकोट से भाजपा के एकमात्र विधायक दिनेश सिंह बब्बू का दावा है कि सनी देओल को 2.50 लाख से अधिक वोटों से जीत मिलेगी। बब्बू का दावा है कि सनी की यह जीत ऐतिहासिक होगी। जीत का यह अंतर इतना बड़ा होगा कि अपने आप में यह रिकॉर्ड होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है।
भाजपा मंडल उपाध्यक्ष साहिल शर्मा कहते हैं कि सनी पाजी के आने से विपक्ष के चेहरे की हवाइयां उड़ रही हैं। असली असर तो तीन मई के बाद दिखेगा जब रोडशो और प्रचार का जोर चलेगा। राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई में कांग्रेस और आप दूर-दूर तक नहीं है। यहीं नहीं भाजपा-अकाली पांच सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।
खुद को दोहरा रहा है इतिहास
2004 के लोकसभा चुनाव में फिल्म अभिनेता धमेंद्र ने कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ के खिलाफ चुनाव लडऩे से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह उनके बड़े भाई की तरह हैं। इसके बाद भाजपा ने उन्हें राजस्थान के बीकानेर से टिकट दिया और वह विजयी रहे थे। 2019 में इतिहास खुद को दोहराता हुआ नजर आ रहा है क्योंकि बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ को उसी धर्मेंद्र का लड़का सनी देओल चुनौती दे रहा है।
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अंतर्कलह में घिरी कांग्रेस
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चेतावनी दी है कि जिस मंत्री के हलके में कांग्रेस प्रत्याशी हारेगा, उसकी कुर्सी चली जाएगी। इस चेतावनी के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह शुरू हो गई है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व गुरदासरपुर से सांसद रहे प्रताप सिंह बाजवा ने कैप्टन के इस बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि कैप्टन की इस धमकी से पार्टी से नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ेगा। इसलिए कैप्टन को सोच समझकर बोलना चाहिए। ऐसे तो उनकी भी कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है।
इधर सनी पर चुटकी लेते हुए गुरदासपुर के सांसद सुनील जाखड़ ने कहा कि वह हमारा मुकाबला क्या करेंगे। उन्हें तो फसलों का सीजन तक पता नहीं है। वह यहां के लोगों को क्या समझेंगे।
गुरदासपुर का इतिहास
भारत विभाजन से पूर्व गुरु नानकदेव जी की कर्मभूमि करतारपुर साहिब गुरदासपुर जिले में ही आती थी। अब करतारपुर कॉरिडोर भी इसी जिले में स्थित डेराबाबा नानक से होकर जाएगा। पाकिस्तान की सरहद से सटा गुरदासपुर देश विभाजन के वक्त करीब एक सप्ताह तक पाकिस्तान का हिस्सा रहा, लेकिन हिंदू और सिख बाहुल्य होने के कारण यह फिर भारत के हिस्से आ गया। अहमदिया समाज का सबसे बड़ा केंद्र इसी जिले के कादियां में स्थित है और पंजाब में सबसे अधिक मुसलमान भी यहीं पर रहते हैं। यही नहीं सिख धर्म के पहले पातशाह श्री गुरुनानक देव जी की ससुराल भी गुरदासपुर जिले के बटाला में स्थित है। इसके अलावा यहां भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर है। यही नहीं पठानकोट भी 2010 से पहले गुरदासपुर का ही हिस्सा था। गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा पाकिस्तान, दूसरा हिमाचल और तीसरा जम्मू-कश्मीर से सटा हुआ है।