योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती, भ्रष्टाचारियों की कब आएगी शामत?

Update:2017-10-06 14:10 IST

अनुराग शुक्ला की रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में हमेशा भ्रष्टाचार का अहम किरदार होता है। कभी पार्टियों के कामकाज में तो कभी शासन के तौर तरीकों में। चुनाव में तो हमेशा भ्रष्टाचार लीड रोल में रहता है। पिछले कई दशकों से तो चुनाव में सबसे बड़ा एजेंडा भ्रष्टाचार रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा के विजयरथ के दो पहियों में कम से कम एक भ्रष्टाचार विरोध का पहिया तो था ही।

उत्तर प्रदेश में ‘कारनामा बोलता है’ के नारे के साथ लखनऊ का किला फतह करने वाली भगवा जमात यानी भाजपा और उसके समर्थकों की टोली ने अखिलेश के भ्रष्टाचार को जड़ से उखाडऩे का वादा किया था। लोगों ने भरोसा किया, भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया। भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के तौर पर मुख्यमंत्री दिया तो लगा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा सरकार और नेतृत्व गंभीर है।

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योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत छवि निहायत ईमानदार की है। उन पर सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार का एक आरोप भी नहीं है। उम्मीद के पंख लगे। जब रिवर फ्रंट का योगी ने सरकार बनते ही दौरा किया तो इस पंख को परवाज लग गये। छह महीने बीत गये। अब तक सरकार ने कई तरह की समितियां बनाई।

गोमती रिवर फ्रंट, समाजवादी पेंशन योजना, आगरा एक्सप्रेस वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और साइकिल ट्रैक योजना जैसे प्रोजेक्ट्स पर भाजपा नेताओं ने उंगली तो उठाई पर सरकार बनने के बाद न तो इनका भ्रष्टाचार उजागर हुआ और न ही सरकार की किसी कार्रवाई में किसी बड़े नाम को कटघरे में खड़ा किया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सरकार के सभी मंत्री गोमती रिवर फ्रंट को सबसे बड़ा घोटाला करार दे रहे हैं। योगी सरकार के मंत्री ने कभी परियोजना की बढ़ गयी लागत को लेकर सवाल उठाया तो कभी उसके अधूरे रहने पर सवाल दागे तो कभी पर्यावरण अनापत्ति को लेकर बातें कीं। तकनीकी जांच समिति के बाद रिटायर्ड जस्टिस आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में बनी न्यायिक जांच समिति ने भी जांच की। जांच में कई ऐसे बिंदु थे जिन पर आलोक सिंह कमेटी ने सवाल उठाए थे।

1- इंजीनियरों द्वारा सेन्टेज चार्जेज नहीं जमा कराए गए।

2- डायफ्राम वाल, इंटरसेप्टिंग ड्रैन, रबर डैम की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। डायफ्राम की दीवार सीधी बनाई गई, जबकि इसे ढलान वाला होना चाहिए।

3- इंटरसेप्टिंग ड्रैन, रबर डैम, म्यूजिकल फाउंटेशन शो आदि का कार्य 2015 में ही शुरू हो गया। जबकि इन कामों को कैबिनेट ने जुलाई 2016 में मंजूरी दी थी।

4- पर्यावरण नियमों के पालन पर ध्यान नहीं दिया गया।

5- विभिन्न आइटम में निर्धारित से कई गुना अधिक पैसे खर्च किए गए।

संदिग्ध को सौंप दिया महत्वपूर्ण प्रभार

जहां एक ओर रिपोर्ट शासन में लंबित है वहीं यूपीडा के मुख्य अभियंता विश्व दीपक को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने विभाग के अंतर्गत आने वाले उ.प्र. राजकीय निर्माण निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया है। विश्व दीपक वही इंजीनियर हैं जिनकी देखरेख में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे का निर्माण हुआ।

मुख्य अभियंता विश्व दीपक को लोक निर्माण विभाग से प्रतिनियुक्ति पर यूपीडा (यूपी एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) में भेजा गया था। विश्व दीपक की भूमिका हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में न केवल संदिग्ध है बल्कि प्रदेश सरकार उसकी जांच भी करवा रही है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा उन्हें शीर्ष निर्माण इकाई का प्रबंध निदेशक का प्रभार देना किसी के गले नहीं उतर रहा है।

बड़े-बड़े दावे मगर कार्रवाई किसी पर नहीं

भाजपा ने अपने श्वेत पत्र में लिखा है कि भ्रष्टाचार के कारण लगभग 50 लाख फर्जी राशन कार्ड जारी किए जाने की आशंका है। अब तक सत्यापन में पात्र गृहस्थी के लगभग 26 लाख 21 हजार तथा अन्त्योदय के करीब 98 हजार राशन कार्ड अपात्र पाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार कड़े फैसले लेकर फर्जी राशनकार्ड धारकों से रिकवरी और भू-माफियाओं के खिलाफ टास्क फोर्स का ऐलान तक किया था।

मुख्यमंत्री ने फैसला किया कि जिन परिवारों को गैस का चूल्हा मिला है, उन लोगों को सरकारी मिट्टी का तेल नहीं मिलेगा। इसके साथ ही सभी जन कल्याणकारी योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ा जायेगा। वहीं भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी योजनाओं को ऑनलाइन किया जाएगा ताकि पारदॢशता बढ़ सके। लेकिन इस कार्रवाई में भी अभी तक किसी बड़ी मछली के फंसने की खबर दूर-दूर तक नहीं है।

एक और दावे के पूरा होने का इंतजार

उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त ने मायावती सरकार में अपनी अनुशंसा से 19 मंत्रियों की बलि ली थी पर मायावती सरकार के जाने के बाद अखिलेश यादव सरकार में बसपा के मंत्रियों के खिलाफ हुई लोकायुक्त की संस्तुतियों पर कार्रवाई तक नहीं हुई। उन मंत्रियों पर जिन पर आरोप लगाकर अखिलेश यादव सत्ता में आए थे। जब भाजपा सरकार आई तो माना जा रहा था कि इस तरफ ठोस कदम बढ़ाए जाएंगे।

जनता को निराशा होने लगी थी कि 18 सितंबर को श्वेत पत्र जारी करते हुए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया कि प्रदेश में सभी लोकायुक्तों और सीएजी की रिपोर्ट को आगामी विधानसभा सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा और कमेटियां बनाकर सरकार इन पर कार्रवाई करेगी। अब जनता को सरकार के इस दावे और वादे के पूरा होने का इंतजार है।

सिर्फ बयान तक सीमित रह गया मामला

सरकार ने अपने श्वेत पत्र में अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया कि ऐसे कामों का लोकार्पण किया गया, जो उस समय पूरे नहीं थे। जैसे लखनऊ मेट्रो रेल, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र, गोमती रिवर फ्रंट, अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, कैंसर इंस्टीट्यूट, एस.जी.पी.जी.आई. का ट्रामा सेंटर आदि।

जे पी सेंटर और कैसरबाग हैरिटेज जोन का तो एलडीए मंत्री सुरेश पासी ने मुआयना तक कर लिया। बीते 16 अप्रैल को एलडीए मंत्री सुरेश पासी ने गोमतीनगर स्थित जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर का निरीक्षण किया। लिफ्ट न बनी होने पर मंत्री ने तत्कालीन एलडीए वीसी को लताड़ लगाई और कहा कि अगर लिफ्ट नहीं लगी है तो क्या मैं यहां का इंस्पेक्शन नहीं कर पाऊंगा।

इसके बाद वे बिल्डिंग के 18वीं फ्लोर पर सीढिय़ों से पहुंचे। कहा कि मुझे सूचना दी गई थी कि यहाँ 50 प्रतिशत काम हो चुका है, जबकि यहाँ कुछ नहीं हुआ। इंस्पेक्शन के लिए जब मंत्री सुरेश पासी ने बिल्डिंग में सीढिय़ों से चढऩा शुरू किया तो उनके साथ एलडीए वीसी, 22 इंजीनियर और निजी स्टाफ सहित करीब 35 लोगों का काफिला था।

18वीं फ्लोर तक पहुंचते-पहुंचते मंत्री जी के साथ केवल उनके निजी स्टाफ के पांच लोग ही रह गए बाकी सभी नीचे के फ्लोर पर ही रुक गए। इस दौरान तत्कालीन एलडीए वीसी तो 5वीं फ्लोर पर ही थककर रुक गए। वहीं हेरिटेज जोन का निरीक्षण करने गये सुरेश पासी ने कहा कि पहले अच्छे डामर की सडक़ बनी थी, लेकिन फिर भी कर्नाटक से पत्थरों को मंगवाकर लगवाया गया है। सब फर्जी काम हुआ है। यहाँ सैकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला है पर बात सिर्फ बयान और डायलाग तक सीमित रह गयी।

अमली जामा कब पहनेंगे दावे

भाजपा के श्वेत पत्र में यह भी लिखा है कि पिछली सरकारों (मायावती-अखिलेश) के राज में लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत ठेकेदारों की बड़ी संख्या के बावजूद 2011-2016 की अवधि में 3300.79 करोड़ रुपए लागत के 5988 अनुबंध (75 प्रतिशत) मात्र 1 या 2 निविदाओं के आधार पर किये गये। सीएजी ने 31 मार्च, 2013 को समाप्त वर्ष के लिए अपने प्रतिवेदन में कहा है कि वर्ष 2007-08 से वर्ष 2009-10 के बीच प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में 4 व नोएडा में 1 स्मारक के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई।

परियोजनाओं की मूल वित्तीय स्वीकृति लगभग 944 करोड़ रुपए की थी, जो अंत में संशोधित होकर 4 हजार 558 करोड़ रुपए हो गई। इस प्रकार लागत में 483 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यानी सरकार को सब पता है। दावे भी हैं पर जनता को इंतजार है कि भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के भाजपा सरकार के दावे अमली जामा कब पहनेंगे।

सीबीआई जांच में कई बड़ों की गर्दन फंसनी तय

न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए नगर विकास मंत्री की अध्यक्षता में गठित खन्ना समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में तकनीकी जांच की विशेषज्ञता न होने का उल्लेख करते हुए इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति की। संस्तुतियों के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने परियोजना की सीबीआई जांच का निर्णय लिया। इसके बाद यूपी सरकार ने सीबीआई जांच करवाने की सिफारिश कर दी।

प्रदेश के गृह सचिव की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया था और सिफारिश में न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट, गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी व अन्य दस्तावेज भी प्रारूप के साथ भेजे गए थे। केंद्रीय कर्मिक मंत्रालय की मंजूरी के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई और अब सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है। इससे पहले मामले में सिंचाई विभाग की तरफ से 19 जून को गोमतीनगर थाने में आठ इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

माना जा रहा है कि इस घोटाले की जांच में कई बड़ों की गर्दन फंसनी तय है। इसमें तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव, मुख्य सचिव आलोक रंजन, तत्कालीन प्रमुख सचिव वित्त राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल, शिवपाल के करीबी अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव समेत कई बड़ों तक जांच की आंच पहुंच सकती है।

अब यह जांच सीबीआई के पास है और सरकार इस मामले में सबकुछ सीबीआई के पास होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रही है। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह कहते हैं कि सीबीआई ज्यादा तो कुछ बताती नहीं है। केस उनके पास है। उनका काम करने का तरीका एकदम अलग है। सरकार को सीबीआई जांच की रिपोर्ट का इंतजार है।

डीएम की रिपोर्ट्स का किया जा रहा परीक्षण

इसी तरह आगरा एक्सप्रेस वे को लेकर भी भाजपा सरकार ने कई तरह की जांच की। इसके लिए ‘राइट्स’ नाम की कंपनी की सहायता भी ली गयी जिसने आगरा एक्सप्रेस वे के टेक्निकल सर्वे का जिम्मा उठाया। दरअसल उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे प्राधिकारण (यूपीईडा) के विशेष फील्ड अफसर वाई एन लाल ने फिरोजाबाद में पांच चकबंदी अफसरों और 22 भू-स्वामियों पर एक एफआईआई कराई थी जिसमें बछेली गांव की कृषि जमीन को रिहायशी दिखाने का आरोप था।

इसमें यह भी आरोप था कि इन लोगों ने मिलीभगत कर अपनी जमीन का कई गुना मुआवजा ले लिया है। इस एफआईआर के बाद यूपीईडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने 10 जिलों के जिलाधिकारियों को 19 अप्रैल को चिट्ठी लिखकर भूमि खरीद के सौदों की जांच करने को कहा।

इस प्रोजेक्ट के लिए 10 जिलों के 232 गांव से जमीन खरीदी गयी। 20,456 किसानों से खरीदी गयी 3500 हेक्टेयर जमीन के सौदों पर सरकार की निगाह है। सरकार के रणनीतिकार मानते हैं कि इन सौदों में जमीन को अखिलेश सराकर के करीबी लोगों ने औने पौने खरीदा और फिर यूपीईडा ने उन्हें कई गुना ज्यादा मुआवजा दे दिया।

सरकार ने शिकोहाबाद के सिरसागंज तहसील के सौदे को बानगी मानकर अब सभी जिलों के जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांग ली है। इन रिपोर्ट्स के स्टेटस पर सीईओ यूपीईडा अवनीश अवस्थी ने अपना भारत/न्यूजट्रैक डाट काम को बताया कि ज्यादातर रिपोर्ट्स आ गई हैं। जो नहीं आई हैं वे भी जल्द ही आ जाएंगी।

अधिकांश रिपोर्ट्स शासन के पास भेज दी गयी है। बाकी का परीक्षण चल रहा है। जैसे-जैसे रिपोर्ट्स आएंगी वे शासन को भेजी जाएंगी। शासन स्तर पर रिपोर्ट्स को देखा जा रहा है। इस परीक्षण के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जा सकता है।

सरकार ने नहीं पूरा किया कोई वादा

सपा के विधानपरिषद सदस्य और अखिलेश के कोर टीम मे शामिल सुनील सिंह साजन कहते हैं कि कोई भी सरकार किसी भी तरह की जांच कराने के लिए स्वतंत्र है। जांच तो कराएं पर इतना जरूर लगता है कि इस सरकार के पास जांच कराने के अलावा कोई काम नहीं है। उन्हें कुछ काम भी कर लेने चाहिए। उन वादों पर भी ध्यान देना चाहिए जिसके सपने दिखाकर उन्होंने जनता से वोट लिया है।

वादों के लिहाज से एक भी काम नहीं हुआ है। कोई वादा पूरा नहीं किया गया है। अब जनता 2019 में इस सरकार के काम की असली जांच करेगी। सरकार इस मुद्दे पर अपने रुख पर कायम है। उसका कहना है कि किसी भी भ्रष्टाचारी को छोड़ा नहीं जाएगा। उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री महेंद्र सिंह के मुताबिक पहले ही दिन से सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ही काम किया है।

बात चाहे खनन नीति की हो या फिर ई टेंडरिंग की हर काम में भ्रष्टाचारियों को ही चोट पहुंची है। इसके अलावा फर्जी राशनकार्ड से भ्रष्टाचार खत्म किया गया है। आवास की योजनाओं में पैसा लाभार्थी के खाते में सीधे भेजकर बिचौलियों के भ्रष्टाचार को खत्म किया गया है। बात अगर पिछली सरकार के भ्रष्टाचार की है तो इसमें अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों को निलंबित किया गया है।

सबकी जवाबदेही तय की गयी है। जो भ्रष्टाचारी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई जारी है पर उसकी एक प्रक्रिया होती है। उसी के तहत काम हो रहा है। हमारी सरकार किसी से बदला नहीं लेना चाहती है। इतना जरूर है कि जनता के एक-एक पैसे की लूट का हिसाब लिया जाएगा।

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