...तो क्या इंदौर में बीजेपी को नहीं मिल रहे जिताऊ-टिकाऊ प्रत्याशी !
सुमित्रा के कद के आगे कोई भी बड़ा नेता अपनी दावेदारी पार्टी के सामने प्रस्तुत नहीं कर रहा। इसीलिए कैलाश ने भी पश्चिम बंगाल के प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है।
इंदौर : मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा रहस्य बन चुकी है। सुमित्रा ताई और कैलाश विजयवर्गीय चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उनको पार्टी टिकट नहीं दे रही।
शंकर के साथ ही विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, रमेश मैंदोला और कृष्णमुरारी मोघे भी टिकट मांग रहे हैं लेकिन पार्टी आलाकमान इनको जिताऊ नहीं मानता।
सूत्रों की माने तो भोपाल की तरह ही यहां भी चौंकाने वाला नाम हो सकता है।
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दूसरी ओर, कांग्रेस ने इंदौर क्षेत्र से अपने वरिष्ठ नेता पंकज संघवी को प्रत्याशी घोषित किया है जहां उनके सामने भाजपा का 30 साल पुराना गढ़ भेदने की मुश्किल चुनौती है।
आखिर क्यों नहीं मिल रहा प्रत्याशी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं। लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के बीजेपी के निर्णय को लेकर मीडिया में जब खबरें आने लगीं तो आहत ताई ने पांच अप्रैल को घोषणा की थी कि वह बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।
सुमित्रा के कद के आगे कोई भी बड़ा नेता अपनी दावेदारी पार्टी के सामने प्रस्तुत नहीं कर रहा। इसीलिए कैलाश ने भी पश्चिम बंगाल के प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है।
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सूत्र कहते हैं बीजेपी आलाकमान इस सीट से किसी कद्दावर नेता को ही मैदान में उतारना चाहता है। वहीं ताई को मनाने का भी प्रयास चल रहा है।