प्लेन के अनसुने फैक्ट्स: क्यों खिड़कियों के शटर खुलते हैं, आप नहीं जानते होंगे
लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान एयरहोस्टेस आपसे खिड़कियों के शटर उठाने के लिए कहती हैं। इसके पीछे का कारण यह हैं की प्लेन और पैसेंजर दोनों की सेफ्टी। पैसेंजर्स फ्लाइट की सेफ्टी को लेकर काफी ज्यादा चौकन्ना रहतें हैं।
नई दिल्ली :आप में से ज्यादातर लोगों ने कई बार फ्लाइट्स में सफर किया होगा। उनमें से कई लोग कई बार विंडो सीट पर भी बैठे होंगे लेकिन क्या अपने कभी गौर किया हैं की एयर प्लेन की खिलाड़ी के शीशे में एक छोटा होल होता हैं। परन्तु क्या आपने कभी सोचा हैं की ये होल होता क्यों हैं। इस होल का काम क्या हैं। चलिए आपको उनसे जुड़े कुछ फैक्ट्स ऐसे भी हैं जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे-
आखिर फ्लाइट्स व्हाइट कलर के ही क्यों होते हैं
फ्लाइट्स का रंग सफेद इसलिए होता है क्योंकि हवाई जहाज की बॉडी में आई किसी भी तरह की खराबी जैसे क्रेकस या तेल का रिसना आसानी से दिख जाता हैं। व्हाइट कलर इसलिए भी होता क्योंकि गर्मी से भी बचाता है। जिसकी वजह से 30 हजार फीट की ऊंचाई पर भी फ्लाइट्स को ठंडा रखता है।
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छोटी क्यों होती है प्लेन की खिड़कियां
आपने गौर किया होगा कि प्लेन खिड़कियां,बस और ट्रेन से छोटी होती हैं। पर क्या अपने कभी प्लेन खिड़कियां छोटी क्यों बनाई जाती हैं। ऐसा इसलिए बनया गया हैं क्योंकि ऊंचाई पर उड़ते हुए प्लेन के बाहर और अंदर के प्रेशर में काफी अंतर आ जाता है। अगर फ्लाइट्स की खिड़कियों को अगर बड़ा बनाया जाता तो ग्लास के टूटने का खतरा ज्यादा होगा। लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि फिर कॉकपिट की खिड़कियां बड़ी और चौकोर क्यों होती हैं। ऐसा इसलिए ताकि पायलट्स को बाहर का नजारा साफ दिखे। इसलिए बड़ी होती हैं कॉकपिट की खिड़कियां। इसमें यूज किये गए ग्लासेज काफी मजबूत और ज्यादा महंगे होते हैं।
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क्यों होती हैं फ्लाइट्स की खिड़कियां गोल या घुमावदार
दरअसल, शुरूआती दौर में फ्लाइट्स की खिड़कियां चौकोर थी। लेकिन प्रेशर पड़ने की वजह से ये टूट जाती थी। समय के साथ प्लेन के आकर और सुरक्षा देखते हुए प्लेन के आकार में बदलाव लाया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंजीनियर्स ने खिड़कियों को चौकोर करने की जगह गोल या घुमावदार बनाया, ताकि इसपर पड़ने वाला प्रेशर डिवाइड हो जाए। इससे इनके टूटने की संभावना कम हो गई।
फ्लाइट्स की खिड़कियों में क्यों बने होते हैं छोटे छेद
प्लेन की खिड़कियों में 3 लेयर्स होते हैं। एक लेयर बाहर की तरफ, एक बीच में तो एक अंदर की तरफ। इसमें बीच के लेयर में आप छोटे छेद देख सकते हैं। एक्सपर्ट की मानें तो मिडिल लेयर में मौजूद ये छेद केबिन प्रेशर को मेंटेन करता है। अगर दबाव के कारण खिड़कियों में दरार भी आ जाए तो सबसे पहले बाहर की लेयर टूटेगी। इसकी सूचना मिलते ही पायलट जल्दी से ऊपरी हिस्से से प्लेन को लोअर एल्टीट्यूड तक ले जा सकता है। इससे खतरा टाला जा सकता है।
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लैंडिंग और टेकऑफ में खोले जाते हैं खिड़कियों के शटर
लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान एयरहोस्टेस आपसे खिड़कियों के शटर उठाने के लिए कहती हैं। इसके पीछे का कारण यह हैं की प्लेन और पैसेंजर दोनों की सेफ्टी। पैसेंजर्स फ्लाइट की सेफ्टी को लेकर काफी ज्यादा चौकन्ना रहतें हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आये हैं जहां पैसेंजर्स ने ही खिड़की से देखकर क्रू को प्लेन की खराबी के बारे में जानकारी दी थी। शटर्स खुले होने पर प्लेन में आई किसी भी तरह की खराबी को तुरंत नोटिस कर लिया जाता है। यही वजह है कि लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान शटर्स खुले रखे जाते हैं।
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