क्या मुसलमान खुशहाल हैं ?
गैर-मुस्लिम देशों में कोई भी राष्ट्राध्यक्ष कभी कोई मुसलमान नहीं बना लेकिन भारत ऐसा एकमात्र गैर-मुस्लिम राष्ट्र है, जिसमें कई राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल, मंत्री और मुख्यमंत्री मुसलमान रहे हैं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया श्री मोहन भागवत के इस कथन पर बड़ी बहस चल रही है कि ‘‘दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट कोई मुसलमान हैं तो भारत के मुसलमान हैं।’’ यही बात किसी मुसलमान नेता या आलिम-फाजिल के मुंह से निकलती तो उसकी बात ही कुछ और होती लेकिन ऐसी बात निकले तो कैसे निकले ? यदि निकल जाती तो हमारे कई मुसलमान नेता उस पर काफिराना हरकत का फतवा जारी कर देते।
RSS का दावा भारत के मुसलमान सबसे संतुष्ट
अब से करीब 10 साल पहले जब दुबई में मेरे एक भाषण के दौरान मेरे मुंह से यह वाक्य अचानक निकल पड़ा कि हमारे मुसलमान दुनिया के बेहतरीन मुसलमान हैं तो श्रोताओं के बीच बैठे अनेक अरब शेखों के चेहरों पर मैंने तीखा तनाव देखा तो मुझे तर्क देना पड़ा कि इस्लाम की नई विचारधारा के साथ-साथ उनकी धमनियों में हजारों साल की भारतीय संस्कृति रवां है। दोनों का सम्मिश्रण ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुसलमान बनाता है लेकिन मोहन भागवत के तर्क का आधार दूसरा है और वह भी ध्यान देने लायक है।
भारतीय मुसलमान देश में अल्पसंख्यक
उनका तर्क है कि भारतीय मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक हैं। जरा उन देशों के मुसलमानों से इनकी तुलना करो, जहां ये अल्पसंख्यक हैं। मुसलमान तो ईसाई, बौद्ध, यहूदी और कम्युनिस्ट देशों में भी रहे हैं। सुन्नी देशों में शिया और शिया देशों में सुन्नी भी रहे हैं। पिछले 50 वर्षों में मुझे ऐसे दर्जनों देशों में पढ़ने-पढ़ाने और रहने का मौका मिला है। उनकी स्थानीय भाषाएं भी जानता रहा हूं। उनसे अत्यंत आत्मीय और घनिष्ट संवाद भी होते रहे हैं।
जहां भी मुसलमान अल्पसंख्या में, वहां जीना दूभर
आपको सच कहता हूं कि जहां-जहां भी मुसलमान अल्पसंख्या में हैं, उनका जीना दूभर होता है। उसका एक कारण तो है मुसलमानों का पिछड़ापन और गरीबी लेकिन उससे भी बड़ा कारण है उनके प्रति उन-उन देशों के बहुसंख्यक लोगों में गहरी नफरत और अलगाव का भाव ! चीन के शिनच्यांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को खुले-आम नमाज़ नहीं पढ़ने दी जाती और लाखों मुसलमान यातना-शिविरों में सड़ रहे हैं।
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स्पेन की महारानी ईसाबेला ने 5-6 लाख मुसलमानों को बनाया ईसाई या देश-निकाला
मैं कई बार सोवियत संघ के उजबेकिस्तान आदि पांचों मुस्लिम गणतंत्रों में गया। वहां मैं देखता था कि उजबेक, ताजिक, कजाक, किरगीज और तुर्कमान लोगों को रुसी आकाओं की गुलामी करनी पड़ती थी। फ्रांस के मुसलमानों पर तरह-तरह की पाबंदियों का जिक्र मैंने पहले किया ही था। स्पेन की महारानी ईसाबेला ने 1501 में वहां के 5-6 लाख मुसलमानों को या तो ईसाई बना लिया या देश-निकाला दे दिया या कत्ल कर दिया। जापान में एक-डेढ़ लाख मुसलमान हैं लेकिन वहां भी धर्म-परिवर्तन पर कड़ी नज़र रखी जाती है।
भारत ऐसा एकमात्र गैर-मुस्लिम राष्ट्र जहां राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति, राज्यपाल मुसलमान रहे
इन गैर-मुस्लिम देशों में कोई भी राष्ट्राध्यक्ष कभी कोई मुसलमान नहीं बना लेकिन भारत ऐसा एकमात्र गैर-मुस्लिम राष्ट्र है, जिसमें कई राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल, मंत्री और मुख्यमंत्री मुसलमान रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत का प्रधानमंत्री भी किसी दिन कोई मुसलमान बन जाए। इसका अर्थ यह नहीं कि भारत का औसत मुसलमान बेहद खुशहाल है। उसका हाल भी वही है, जो किसी गरीब हिंदू या ईसाई या सिख का है। किसी की बदहाली उसके मजहब की वजह से नहीं है।
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