लाशों के किनारे

लाशों के किनारे, है शहर एक ज़िंदा, कायदे और कानूनों वाला शहर, साफ सुथरी गालियां,

Written By :  Shreyansh
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-05-14 17:27 GMT

फोटो— गंगा नदी (साभार— सोशल मीडिया)

लाशों के किनारे,

है शहर एक ज़िंदा

कायदे और कानूनों वाला शहर,

साफ सुथरी गालियां

सीधी सड़कें और सुंदर पार्क

और सफेद कपड़ो वाला शहर

बड़े इश्तेहार लगे हैं

इश्तेहारों पर लिखा है,

निजाम को सारी दुनिया ने

सराहा है कि उसके यहां

लाशें कम हैं, बीमारी कम हैं,

रोते लोग कम हैं, मुर्दे भी, कफन भी

सब ठीक है, राम राज है

बस कुछ लोग तैर रहे,

जीवन से हारे, मौत से और सरकार से

उस नदी के ऊपर जो मां है,

मोक्ष देती है और पीएम का पद भी,

लेकिन मुर्दों को नोंचते इन

चील, कौवों और कुत्तों को,

नहीं पता कुछ लाशों का पता

हो सके तो बता दो इन्हें मुर्दों के ठिकाने

वो मुर्दे जो सरकारी मकानों में हैं,

विधानसभाओं में, मंत्रालयों में,

निजामों के कार्यालयों में भी 

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