DRS को भारत की मंजूरी, इंगलैंड के साथ आगामी टेस्ट सीरीज में प्रयोग के तौर पर होगा लागू
डीआरएस का संशोधित संस्करण आगामी भारत-इंगलैंड टेस्ट सीरीज में प्रयोग के तौर पर लागू होगा। इसके परिणामों और प्रतिक्रिया के आधार पर आगे फैसला लिया जाएगा। अब तक भारत के विरोध के चलते, भारत के साथ खेलते समय कोई देश इसका उपयोग नहीं कर सकता था।
नई दिल्ली: बीसीसीआई ने इंगलैंड के साथ आगामी टेस्ट सीरीज में डीआरएस को प्रयोग के तौर पर शामिल करने की स्वीकृति दे दी है। ऐसा पहली बार होगा जब बॉल ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी समेत डीआरएस के सभी नियमों के साथ कोई टेस्ट खेला जाएगा। इससे पहले 2008 में श्रीलंका के साथ टेस्ट में भारत ने विवादित फैसलों में तीसरे अंपायर की समीक्षा को मंजूरी दी थी। इस प्रयोग के दौरान भारत डीआरएस में हुए सुधारों का मूल्यांकन करेगा।
पुष्टि
-बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने डीआरएस को मंजूरी की पुष्टि करते हुए कहा कि हॉक आई ने बीसीसीआई की सभी सिफारिशों को डीआरएस में शामिल कर लिया है।
-फिलहाल डीआरएस का संशोधित संस्करण आगामी भारत-इंगलैंड टेस्ट सीरीज में प्रयोग के तौर पर लागू होगा। इसके परिणामों और प्रतिक्रिया के आधार पर आगे फैसला लिया जाएगा।
-अब तक भारत के विरोध के चलते, भारत के साथ खेलते समय कोई देश इसका उपयोग नहीं कर सकता था।
-इससे पहले 19 अक्टूबर को आईसीसी महाप्रबंधक ज्यॉफ अलर्डाइस ने नई दिल्ली में सिस्टम का प्रदर्शन किया, जहां कुंबले मौजूद थे। इसके दो दिन बाद भारत ने डीआरएस को स्वीकृति दे दी।
क्या है डीआरएस
-अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम यानी यूडीआरएस या डीआरएस एक ऐसा टेकनॉलॉजी आधारित सिस्टम है, जिससे खेलों के दौरान फैसलों में गलती की संभावना कम होती है।
-सबसे पहले इसे टेस्ट क्रिकेट में अंपायरों के विवादित फैसलों के पुनरावलोकन के लिए प्रयोग किया गया।
-2008 के बाद बाद में आईसीसी ने 24 नवंबर 2009 को न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच ड्यूनेडिन टेस्ट में इसे आधिकारिक रूप से लागू कर दिया।
-जबकि, वन डे में इसे जनवरी 2011 में आस्ट्रेलिया-इंगलैंड के बीच लागू किया गया।
हॉक आई
-हॉक आई एक अत्याधुनिक कम्प्यूटर प्रणाली है, जिससे क्रिकेट समेत कई अन्य केलों में वीडियो या इमेज का विश्लेषण करके गेंद की दिशा का पता लगाया जाता है।
-इस सिस्टम से पता लगता है कि बॉल पहली बार बल्लेबाज से कब कहा टकराई और दिशा के अनुसार क्या वह विकेट से टकरा सकती थी।
-2012 में क्रिकेट में उन अत्याधुनिक कैमरों को शामिल किया जा चुका है, जो इन्फ्रा रेड इमेज से पता लगाते है कि बॉल ने पैड या बैट से संपर्क किया।
भारत की चिंता
-भारत इस सिस्टम का शुरू से विरोधी रहा है। यह विरोध एलबीडब्ल्यू के फैसलों में गेंद की दिशा को लेकर होने वाले फैसलों पर था।
-2008 के बाद भारत ने केवल आईसीसी इवेंट में और 2011 में इंगलैंड के खिलाफ सीरीज में प्रयोग किया, जहां एलबीडब्ल्यू के लिए डीआरएस लागू नहीं था।
-अब ये फैसले अल्ट्रा मोशन कैमरों से देखे जाएंगे। इससे गेंद के पहले संपर्क वाले बिंदु को देखा जा सकेगा और गलती की संभावना कम हो सकेगी।
-बीसीसीआई के अनुसार इसे एमआईटी यानी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी ने अनुमोदित किया है।
-मौजूदा भारतीय कोच और आईसीसी क्रिकेट समिति के प्रमुख अनिल कुंबले ने इसकी मंजूरी से पहले एमआईटी का दौरा किया और डीआरएस टेक्नॉलॉजी में हुए संशोधनों की समीक्षा की।
-बीसीसीआई ने कहा कि हॉक आई ने ऐसी टेकनॉलॉजी विकसित कर ली है जिससे सभी छवियां रिकॉर्ड और सेव की जा सकती है, और स्पष्ट रीप्ले देखा जा सकता है।
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(photo courtesy: feedbacksports.com, ibtimes.co.in, crickethighlights.com,the national)