Happy B'day Kambli: भारतीय क्रिकेट का वो खिलाड़ी, जिसने खेला कम लपेटा ज्यादा

कांबली की प्रतिभा का पहला नजारा तब सामने आया जब साल 1988 में स्कूल क्रिकेट में सचिन और विनोद ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 664 रनों की साझेदारी करके एक नया रिकॉर्ड बना दिया था।

Update:2021-01-18 12:05 IST
Happy B'day Kambli: भारतीय क्रिकेट का वो खिलाड़ी, जिसने खेला कम लपेटा ज्यादा

लखनऊ: 90 के दशक के शानदार और तेज गेंदबाज भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली का आज जन्मदिन हैं। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की जोड़ी जब भी ने क्रिकेट के मैदान में उतरते थे, तो अपने विरोधी टीम के छक्के छुड़ा देते थे। इन दोनों के कोच एक ही थे और वो थे रमाकांत आचरेकर। बता दें कि विनोद कांबली के प्रदर्शन देखते हुए रमाकांत आचरेकर ये मानने लगे थे कि टैलेंट के मुकाबले में ये खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से भी एक कदम आगे है। लेकिन अद्भूत प्रतिभा होने के बावजूद ये कमाल का बल्लेबाज उन ऊंचाइयों को नहीं छूं पाया, जिसका वह सही मायनों में हकदार था।

काबंली की जिंदगी

भारतीय क्रिकेट के पूर्व बल्लेबाज विनोद कांबली का जन्म 18 जनवरी 1972 में मुंबई के कंजुरमार्ग में हुआ था। कांबली का पूरा नाम विनोद गणपत कांबली है। उनके पिता गणपत कांबली एक मेकैनिक थे। उनके माता का नाम विजया कांबली है। उस समय कांबली का परिवार काफी गरीबी का सामना कर रहा था। बड़ी मुश्किल से उनके पिता 7 लोगों का खर्चा उठा पाते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि विनोद कांबली के पिता को भी मैच का काफी शौक था। वह अपने जमाने में एक तेज गेंदबाज हुआ करते थे। बता दें कि कांबली ने मुंबई के एक फेमस कांगा लीग में अपने चहेते और बचपन के दोस्त सचिन तेंदुलकर के साथ डेब्यू किया था।

क्रिकेट में पहली शुरूआत

क्रिकेट जगत में विनोद कांबली का सफर भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने कम वक्त में ही काफी नाम कमा लिया था। कहा जाता है कि उस समय विनोद कांबली किसी भी मामले में सचिन से कम नहीं थे और दोनों में ही प्रतिभा कूट-कूट के भरी हुई थी। कांबली की प्रतिभा का पहला नजारा तब सामने आया जब साल 1988 में स्कूल क्रिकेट में सचिन और विनोद ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 664 रनों की साझेदारी करके एक नया रिकॉर्ड बना दिया था। इस मैच में सचिन ने नाबाद 326 रन और विनोद कांबली ने नाबाद 349 रनों की शानदार पारी खेलकर पूरी क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। इसी मैच में विनोद कांबली ने 6 विकेट चटकाते हुए अपना नाम और ऊंचा कर लिया था।

पहली डेब्यू फर्स्ट क्लास

रणजी क्रिकेट खेलते हुए अपने करियर की शुरूआत करने वाले विनोद कांबली ने साल 1989 में मुंबई की ओर से खेलते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना कदम रखा। अपनी पहली डेब्यू फर्स्ट क्लास में ही उन्होंने पहली बॉल पर छक्का जड़ते हुए अपना इरादा पक्का कर लिया। फर्स्ट क्लास में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विनोद कांबली को करीब तीन साल बाद टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका मिला था। बता दें कि विनोद कांबली ने शुरूआती 7 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 4 शतक जड़े थे, दरअसल यह दोहरे शतक थे। दोहरे शतक जड़ने वाले इस शख्स को एक नई जिसके पहचान मिली।

सबसे तेज रन बनाने वाले खिलाड़ी

भारतीय टीम में अपनी एक नई पहचान बनाने वाले विनोद कांबली भारत के लिए टेस्ट में सबसे तेज एक हजार रन बनाने वाले बैट्समैन हैं। उन्होंने काफी कम समय में ही क्रिकेट जगत के हीरो बन गए। तेजी से उड़ान भरने वाले विनोद कांबली जो क्रिकेट के हीरो बन चुके थे, शायद वह स्टारडम संभाल नहीं पाए और वह सीधे अर्श से फर्स पर आ गिरे।

1996 का वो काला मैच

साल 1996 का विश्व कप, शायद ही ऐसा कोई हो, जिसे वो विश्व कप याद ना हो। उस दिन को भारतीय क्रिकेट के लिए काला दिन कहा जाए, तो ये गलत नहीं होगा। बता दें कि इंडियन क्रिकेट के इतिहास में 13 मार्च 1996 को भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप का सेमीफाइनल मैच खेला गया था। सचिन के आउट होने के बाद लगातार भारतीय टीम के गिरते विकेट को देखते हुए भारतीय दर्शकों की भीड़ हिंसक हो गई थी। भारतीय क्रिकेट के फैंस का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने स्टेडियम में ही आग लगा भी। कहा जाता है कि उस दौरान केवल बोतलें, जूते-चप्पल ही नहीं बल्कि दर्शकों के हाथ में जो भी आया मैदान में फेंक दिया। भीड़ को हद से ज्यादा हिंसक देखते हुए मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने मैच रोक दिया और श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया।

रोते हुए मैदान से गए कांबली

उस दौरान विनोद कांबली का एक वीडियो क्लिप काफी वायरल हुआ था, जिसमें वे रोते हुए मैदान से बाहर आए। बाद में नवजोत सिंह सिद्धू और टीम मैनेजर अजीत वाडेकर ने कहा कि अजहर का फील्डिंग का निर्णय सही नहीं था। माना यह जाता है कि वह मैच पहले से ही फिक्स था।

विवादों में घिरे रहे कांबली

कांबली में अपने करियर के दौरान काफी विवादों में फंसे रहे, जिसका खामियाजा अपने करियर से चुकाना पड़ा। मैदान में कई दफा अपने फिल्डिंग से खुश नहीं रहते थे, जिसका गुस्सा वो मैदान पर ही उतार लिया करते थे, तो वहीं खेल के मैदान के बाहर अपने कप्तान सेलेक्टरों से भी उलझते रहते थे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने बचपन के दोस्त सचिन के लिए भी यह कहा कि सचिन ने कभी भी उनकी मदद नहीं की। उनके गिरते करियर को संभलने में सचिन ने उनका कभी साथ नहीं दिया।

 

मीडिया के जरिए किया खुलासा

वहीं मैच से बाहर होने के बाद विनोद कांबली ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि साल 1996 का विश्व कप का सेमीफाइनल उस वक्त के कप्तान अजहरुद्दीन ने फिक्स किया था। इतना ही नहीं, उन्होंने उस वक्त के टीम मैनेजर को भी इस विवाद में घसीट डाला। बाद में . कांबली ने आरोप लगाया था कि उनके कप्तान, टीम के साथी, चयनकर्ता और क्रिकेट बोर्ड की वजह से उनका करियर बर्बाद हुआ।

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