Indian Hockey Team: ये हैं भारतीय हॉकी टीम के ओलंपियन कप्तान, जानिए इनके बारे में

Indian Hockey Team: आईए जानते हैं ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी करने वाले खिलाड़ियों के बारे में...

Written By :  Dharmendra Singh
Update:2021-08-05 23:23 IST

मैच के दौरान भारतीय हॉकी टीम  (फोटो: सोशल मीडिया)

Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कोई पदक जीता है। इससे पहले भारत ने 1980 में गोल्ड मेडल जीता था। इस बार मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारत ने कास्य पदक जीता है। आईए जानते हैं ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी करने वाले खिलाड़ियों के बारे में...


जयपाल सिंह मुंडा

साल 1928 में भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार ओलंपिक पदक जीता था। एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम में भारत ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम में मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के कप्तान जयपाल सिंह मुंडा थे। एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम में भारत ने नीदरलैंड को 3-0 से हराया था। इस ओलंपिक टीम में ध्यानचंद भी शामिल थे उन्होंने दो गोल किया था।
ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों साथ हुए बर्ताव से आहत होकर खेल के कुछ दिन जयपाल सिंह मुंडा इंग्लैंड वापस आ गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में खेला और गोल्ड मेडल जीता। जयपाल खिलाड़ी के साथ-साथ एक राजनेता भी थे। उन्होंने भारत में आदिवासियों का हक दिलाने के लिए कई सारे काम किए।


खेल के प्रति उनके समर्पण को देखकर 22 साल की उम्र में उनको विंबलडन हॉकी क्लब व ऑक्सफोर्ड शायर हॉकी एसोसिएशन का सदस्य नियुक्ति किया गया। इसके बाद उन्होंने भारतीय छात्रों को मिलाकर एक हॉकी टीम बनाई। उन्होंने 1923 से 1928 तक बेल्जियम, जर्मनी फ्रांस और स्पेन के विश्वविद्यालयों को शानदार खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1925 वह आक्सफोर्ड ब्लू का सम्मान पाने वाले हॉकी के अकेले अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।

सैयद लाल शाह बुखारी

साल 1928 के बाद भारतीय टीम ने साल 1932 में लॉस एंजिल्स ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। इस दौरान सैयद लाल शाह बुखारी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। भारत के बंटवारा के बाद बुखारी पाकिस्तान के लिए राजदूत बन गए।

ध्यानचंद

भारतीय हॉकी टीम ने ध्यानचंद के नेतृत्व में बर्लिन ओलंपिक 1936 भी गोल्ड मेडल जीता। बर्लिन ओलंपिक फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया था। इसके साथ भारत ने लगातार गोल्ड मेडल जीते। इस मैच में कप्तान ध्यानचंद ने सबसे ज्यादा तीन गोल किया था।


किशन लाल
लंदन ओलंपिक 1948 में भारतीय टीम ने लगातार चौथी बार स्वर्ण पदक जीता था। कप्तान किशन लाल के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 हरा दिया और मेडल पर कब्जा जमा लिया।

केडी सिंह 'बाबू'

हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार पांचवी बार गोल्ड मेडल जीता था। केडी सिंह 'बाबू' के नेतृत्व में भारतीय टीम ने नीदरलैंड को 6-1 से हरा दिया और पदक अपने नाम कर लिया।

बलबीर सिंह सीनियर
मेलबर्न ओलंपिक 1956 में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हुआ था। इस मुकाबले में बलबीर सिंह सीनियर के नेृतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को 1-0 हराकर मेडल पर कब्जा जमा लिया। ओलंपिक में भारत ने लगातार छठवा स्वर्ण पदक जीता था।

लेस्ली क्लॉडियस

रोम ओलंपिक 1960 में भारत ने रजत पदक जीता था। इस दौरान भारतीय हॉकी टीम के कप्तान लेस्ली क्लॉडियस थे। ओलंपिक 1960 में भी फाइनल में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हुआ, लेकिन पड़ोसी देश ने भारत को 1-0 से हरा दिया। लगातार 6 बार से गोल्ड मेडल जीत रहे भारत को इस बार सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।

चरनजीत सिंह

टोक्यो ओलंपिक 1964 में एक बार फिर भारत ने गोल्ड मेडल ने जीता। इस टीम की कप्तीन चरनजीत सिंह कर रहे थे। ओलंपिक 1964 में एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हुआ। भारत ने इस मुकाबले में पाकिस्तान को 1-0 हरा दिया और सातवीं बार स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

गुरबक्स सिंह और प्रीतिपाल सिंह

मेक्सिको सिटी ओलंपिक 1968 में भारत पहली बार फाइनल में नहीं पहुंच पाई। सेमीफाइनल में हारने के बाद कास्य पदक के लिए भारत का मुकाबला पश्चिम जर्मनी से हुआ है। इस मुकाबले में भारत ने पश्चिमी जर्मनी को हराकर को 2-1 से मैच को जीत लिया। इस टीम का नेतृत्व संयुक्त रूप से गुरबक्स सिंह और प्रीतिपाल सिंह कर रहे थे।

हरमीक सिंह

म्यूनिख ओलंपिक 1972 में भी भारत फाइनल में नहीं पहुंच पाया। सेमीफाइनल में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हुआ है, लेकिन भारत हार गया। कांस्य पदक के लिए भारत और नीदरलैंड के बीच मुकाबला हुआ। भारत ने नीदरलैंड को 2-1 हराकर मेडल अपने नाम कर लिया। इस टीम का नेतृत्व हरमीक सिंह कर रहे थे।

वासुदेवन भास्करन
मास्को ओलंपिक 1980 में भारत ने एक बार गोल्ड मेडल जीत लिया। इस दौरान भारतीय हाॅकी टीम का नेतृत्व वासुदेवन भास्करन कर रहे थे। फाइनल भारत और स्पेन के बीच खेला गया। भारत ने स्पेन को 4-3 से हरा दिया। इस जीत के साथ भारत ने 8वीं बार गोल्ड मेडल जीता।








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