6 साल की उम्र से शुरू किया टेनिस खेलना, आसान नहीं था सानिया का खिलाड़ी बनना

Update:2016-11-15 11:27 IST

मुंबई: भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा अपना 30वां जन्मदिन मना रही है। सानिया ने 6 साल की उम्र में पहली बार टेनिस खेला था तब उन्होंने ये अंदाजा भी नहीं लगाया था कि वह एक दिन विश्व की पहली वरीयता प्राप्त टेनिस खिलाड़ी बनेंगी। टीचर और पैरंट्स को यकीन था कि सानिया में एक खास टैलंट है। इसके बाद उन्होंने खेल में दिलचस्पी ली और अपना करियर टेनिस चुना।

सानिया को 18 साल की उम्र में साल में 'पद्मश्री' सम्मान से नवाजा गया था। साल 2006 में अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्लूटीए का 'मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड' प्रदान किया गया था। सानिया का टेनिस खिलाड़ी बनना आसान नहीं था।

आगे की स्लाइड में पढ़ें सानिया के टेनिस खिलाड़ी बनने का सफर....

बचपन से लेकर टेनिस खिलाड़ी बनने तक का सफर

सानिया का जन्म 15 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ। उनके जन्म के बाद उनका परिवार हैदराबाद शिफ्ट हो गया। बचपन से ही सानिया पढ़ाई से ज्यादा खेल में दिलचस्पी रखती थी। इसके चलते उन्होंने 6 साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया। टेनिस खेलते वक़्त उन्हे जरा सा भी अंदाजा नही था की वह आगे चलकर एक बड़ी टेनिस खिलाड़ी बनेंगी, लेकिन उनकी टीचर और उनके पैरंट्स को यकीन था कि सानिया में एक खास टैलंट है। टीचर और पैरंट्स के कहने पर उन्होंने खेल में दिलचस्पी ली और उन्होंने अपना करियर टेनिस चुना। सानिया ने अपना पहले टूर्नामेंट 8 साल की उम्र में अपने से बड़ी खिलाड़ी को हराकर जीता।

पिता ने कहां था जिंदगी में दूसरा ऑप्शन होना भी जरूरी है

सानिया के पिता इमरान मिर्ज़ा ने सानिया से कहां कि टेनिस के अलावा पढ़ाई को भी अपना करियर समझों और पढ़ाई भी करो ताकि खेल के अलावा भी तुम कुछ और भी कर सको। अगर कोई दूसरा ऑप्शन सामने होता है तो आप पर बहुत ज्यादा प्रेशर नहीं होता है। पढ़ाई और स्पोर्ट्स में अच्छे हैं तो स्कॉलरशिप मिलने में भी आसानी होती है।

कैसे की थी सानिया ने अपने कॅरियर की शुरुआत

सानिया ने अपने कॅरियर की शुरुआत साल 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर किया। इसके बाद उन्होंने कई अंतररार्ष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया और सफलता हासिल की। उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ साल 2003 आया जब उन्हें भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्ज़ा को विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की।साल 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2005 के अंत में उनकी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 42 हो चुकी थी जो किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।

संन्यास से पहले क्या चहती थी सानिया

सानिया ने कहा कि 2010 में शादी करना और युगल मुकाबलों को खेलना उनके करियर के दो सबसे महत्वपूर्ण फैसले हैं। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2010 में मैंने सोचा कि मेरा करियर खत्म हो गया। मेरी कलाई में समस्या आ गई थी और मैं अपने बालों में कंघी तक नहीं कर पा रही थी। उस समय टेनिस खेलने का सवाल ही नहीं था।

इसलिए मेरा एक फैसला शादी करने का था। दूसरा फैसला मैंने तब किया जब मैं युगल खेलने लगी। उस समय यह कड़ा फैसला था।’ साल 2012 में सानिया ने सिंगल्स से संन्यास ले लिया। अगस्त 2015 से लेकर मार्च 2016 तक सानिया मिर्जा ने मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाकर एक के बाद एक लगातार 41 जीत दर्ज करते हुए एक रिकॉर्ड बना दिया।

 

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