ट्रेनिंग के लिए रोजाना 80 किमी. का करना पड़ता था सफर, जानिए झूलन गोस्वामी की संघर्ष भरी कहानी

Jhulan Goswami Life Story: भारतीय महिला टीम के लिए पिछले 20 साल तक खेलने वाली झूलन गोस्वामी आज आखिरी बार मैदान पर उतरी। लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ मैच उनके क्रिकेट करियर का अंतिम मुकाबला है।

Written By :  Suryakant Soni
Update: 2022-09-24 13:50 GMT

Jhulan Goswami Life Story

Jhulan Goswami Life Story: भारतीय महिला टीम के लिए पिछले 20 साल तक खेलने वाली झूलन गोस्वामी आज आखिरी बार मैदान पर उतरी। लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ मैच उनके क्रिकेट करियर का अंतिम मुकाबला है। इससे पहले उन्होंने संन्यास का एलान कर दिया था। पश्चिम बंगाल के एक छोटे से कस्बे से निकलकर एक महान खिलाड़ी बनने का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है। चलिए आज हम आपको बताते हैं झूलन गोस्वामी की संघर्ष भरी कहानी.. जिसको जानकर आप भी उनको सलाम करेंगे....

चकदाह कस्बे से है गहरा नाता:

झूलन गोस्वामी का जन्म पश्चिम बंगाल के नादिया जिला में हुआ था। शायद ही नादिया जिले के चकदाह कस्बे में किसी ने सोचा होगा कि एक बेटी इस टाउन का नाम इतना रोशन करेगी। आज झूलन गोस्वामी के कारण चकदाह कस्बे को एक खास पहचान मिली है। झूलन गोस्वामी का जन्म 25 नवंबर 1982 को पश्चिम बंगाल के नादिया के चकदाह में एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उनके पिता निसिथ गोस्वामी इंडियन एयरलाइंस में काम करते हैं। और इनकी माता झरना हाउसवाइफ हैं। एक मिडिल क्लास परिवार से निकलकर उन्होंने देश का नाम रोशन किया।

ट्रेनिंग के लिए रोजाना 80 किमी. का सफर:

बता दें झूलन गोस्वामी जिस कस्बे में रहती थी वहां क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए कोई सुविधा नहीं थी। लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि एक दिन भारत के लिए खेलना है। इसी बात के साथ उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू की, जो उनके घर से करीब 80 किमी. दूर थी। मतलब उनको रोजाना प्रैक्टिस के लिए घर से 80 किमी. का सफर करना पड़ता था। लोकल ट्रैन के जरिए वो ट्रेनिंग वाली जगह पहुंचती थी। इस दौरान उनका ढाई घंटे का सफर रोजाना होता था। वो उत्तरी कोलकाता के श्रद्धानंद पार्क में अभ्यास के लिए हर दिन ऐसे ही पहुंचती।

सचिन को टीवी पर खेलता देख क्रिकेटर बनने का ठाना:

ये बात 1992 की है जब क्रिकेट में एक नए सितारे का उदय हुआ था। जो आगे चलकर क्रिकेट के भगवान के रूप में जाने गए। अब आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, सचिन तेंदुलकर को टीवी पर खेलता देख ना जाने कितने फैंस ने क्रिकेट को अपना लिया। उनमें से एक झूलन गोस्वामी का नाम भी शामिल है। 1992 में सचिन तेंदुलकर को खेलता देख उन्होंने क्रिकेटर बनाने का ठाना था। जिसके बाद उन्होंने अपना यह सपना 2002 में पूरा कर लिया।

ये खास रिकॉर्ड जो झूलन ने बनाए...

झूलन गोस्वामी ने कुल 353 इंटरनेशनल विकेट अपने नाम किए हैं। उन्होंने वनडे मैचों 253, टेस्ट मैचों 44 और टी-20 में 56 विकेट चटकाए हैं। 2007 का साल उनके क्रिकेट करियर का सबसे अहम समय माना जाता है। उन्हें 2007 में आईसीसी वूमन क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया था। वनडे क्रिकेट में उनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है, जो आज तक दूसरी कोई महिला गेंदबाज़ नहीं कर पाई। उन्होंने वनडे में 253 विकेट चटकाए, वो वनडे में 200 से अधिक वनडे विकेट लेने वालीं दुनिया की इकलौती महिला गेंदबाज़ हैं।

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