Multan Ka Sultan Kaun Hai: कौन है मुल्तान का सुल्तान और नजफगढ़ का नवाब, क्या आप जानते हैं इन्हें
Multan Ka Sultan Kaun Hai: क्या आपको पता है कि मुल्तान का सुल्तान कौन है, किसे कहा जाता है? आइए जानते है इनके बारे में...
Multan Ka Sultan Kaun Hai: अपने टेस्ट करियर का पहला तिहरा शतक 38 चौकों और छह छक्कों से लगाने वाले मुल्तान के सुल्तान की तो याद आप को जरूर होगी। वह भी तब जबकि भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में इनसे पहले कभी किसी खिलाड़ी ने तिहरा शतक न लगाया हो। तभी तो इस मैच में 309 रन बनाकर वीरेंद्र सहवाग कहलाए मुल्तान के सुल्तान (Virender Sehwag Multan Ka Sultan)। वजह साफ है कि यह मैच मुल्तान की सरजमीं पर हुआ था इसलिए मुल्तान की जमीन को जीतने के लिए इन्हें मुल्तान का सुल्तान (Multan Ka Sultan kise kaha jata hai) कहा गया। लेकिन ठहरिये ये तो नजफगढ़ के नवाब भी हैं। खुद सहवाग से जब एक शो में पूछा गया था कि कोरोना काल में घर में काम करना पड़ा होगा तो इनका जवाब था कि नजफगढ़ का नवाब हूं मैं घर के काम क्यों करूंगा। आज हम इन्हीं वीरू की बात करेंगे अपने रिटायरमेंट की तारीख पहले ही घोषित कर दी थी। और उसे निभाया भी। 20 अक्टूबर को क्रिकेट के इस स्टार के जन्म दिन पर पेश हैं कुछ रोचक जानकारियां।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वीरेंद्र सहवाग किसी राजघराने से ताल्लुक नहीं रखते। दिल्ली के नजफगढ़ के रहने वाले वीरेंद्र सहवाग को लोग प्यार से नजफगढ़ का नवाब और मुल्तान का सुल्तान कहते हैं।
वीरेंद्र सहवाग की जाति क्या है (Virender Sehwag ki jati kya hai)?
वीरेंद्र सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर, 1978 को हरियाणा के एक जाट परिवार में हुआ था। इनका परिवार अनाज का व्यापारी था। एक और खास बात वीरेंद्र सहवाग का बचपन संयुक्त परिवार में बीता है ।जिसमें इनके चाचा, चाचियों सहित 16 चचेरे भाई बहन थे। वीरू अपने माता पिता कृष्ण सहवाग और कृष्णा सहवाग की तीसरे नंबर की संतान हैं। इनसे बड़ी दो बहनें और एक छोटा भाई है।
क्रिकेट का जुनून कैसे जागा
वीरू (Veeru) जब मात्र सात महीने के थे तब इनके पिता ने इन्हें खिलौना बैट थमा कर इनके क्रिकेट जुनून की नींव रख दी थी। धीरे-धीरे क्रिकेट का नशा इन पर छाता चला गया। जब इन्हें पढ़ने के दिल्ली के अरोरा विद्या स्कूल भेजा गया तो इन्होंने अपने माता पिता से अनुरोध किया कि इन्हें क्रिकेट खेलने दें । क्योंकि पढ़ने में इनका मन नहीं लगता है। या यों कहें पढ़ाई के लिए वह इतने प्रतिभाशाली नहीं हैं।
शुरूआती करियर में ही सहवाग अटैकिंग (Virender Sehwag Cricket Career)
बैट्समैन के रूप में मशहूर हो गए। लेकिन एक बार इन्हें झटका भी लगा ये बात 1990 के दशक की है ।.इनके पिता को खुद क्रिकेट बहुत पसंद था । लेकिन सहवाग से एक गलती हो गई। इनके हाथों एक बच्चे का दांत टूट गया जिस पर इनके पिता ने इनसे क्रिकेट छोड़ देने को कह दिया। समस्या जटिल थी तो इनकी मां आगे आईं । पिता को सहवाग को खेलते रहने देने के लिए राजी कर लिया। यह संकट दूर हो गया। पढ़ाई में मन न लगने की बात कहने के बावजूद सहवाग ने जामिया मिलिया से स्नातक किया है।
सहवाग अपनी मेहनत और लगन से 19 साल की उम्र से दिल्ली टीम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे। 2014 तक वह दिल्ली की ओर से खेले। 2015 में वह हरियाणा और 2013 में लीसेस्टरशायर की तरफ से खेले। सहवाग दिल्ली डेयरडेविल्स के इंडियन प्रीमियर लीग में पहले दो एडीशन के कैप्टन रहे। तीसरी बार उन्होंने बैटिंग पर ध्यान देने के लिए कैप्टेनशिप छोड़ दी। लेकिन चौथे एडीशन में उन्होंने फिर से कैप्टेनशिप हासिल कर ली। वह इकलौते खिलाड़ी थे । जिन्होंने लगातार चार बार फ्रेचाइजी को बरकरार रखा। पांचवें संस्करण में उन्होंने अपने कैप्टेनशिप को बरकरार रखा और टी20 में हाफ सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया। खास बात आईपीएल की 10 साल की सालगिरह के मौके पर उनका नाम ऑल टाइम क्रिकइन्फो आईपीएल इलेवन में भी रखा गया।
अगर सहवाग के अंतरराष्ट्रीय मैचों (Virender Sehwag International Match) पर एक नजर डालें तो उन्होंने 104 टेस्ट मैच खेले जिनमें 42 जीते, 28 हारे और 34 ड्रा रहे। एक दिवसीय मैचों में 251 मैच खेले, 133 जीते, 103 हारे और एक टाई रहा। टी20 (virender sehwag T20)की बात करें तो 19 मैच खेले 11 जीते और छह हारे जबकि एक टाई रहा।
सहवाग की पत्नी कौन हैं (virender sehwag ki patni kaun hai)
सहवाग ने आरती अहलवाल से 2004 में शादी (virender sehwag wife name) की है। इस शादी का आयोजन तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के आवास पर कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ था। इनके दो बेटे हैं । आर्यवीर और वेदांत। हरियाणा के झज्जर में सहवाग का सहवाग इंटरनेशनल स्कूल चलता है। सहवाग ने अपना यह स्कूल अपने माता पिता को समर्पित किया है ।.जिनका सपना था कि एक स्कूल हो जहां बच्चे पढ़ सकें। रह सकें। प्रशिक्षण ले सकें और खेल गतिविधियों में भाग ले सकें।
अवॉर्ड्स (Awards)
वीरेंद्र सहवाग को अर्जुन अवार्ड, पाली उमरीगर अवार्ड, पद्मश्री आदि मिल चुके हैं।