भारत में आज के दिन मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस, जानिए इसके पीछे का कारण
National Sports Day 2022: खेलों के जरिए तनाव को आसानी से दूर किया जा सकता है। दुनियाभर में अलग-अलग तारीख को खेल दिवस मनाया जाता है। भारत में हर साल 29 अगस्त को नेशनल स्पोर्ट्स डे (राष्ट्रीय खेल दिवस) मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं भारत में हर साल 29 अगस्त को ही राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाया जाता है..?
National Sports Day 2022: हमारे जीवन में खेलों का बड़ा महत्व होता है। मनुष्य के स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। खेलों के जरिए तनाव को आसानी से दूर किया जा सकता है। दुनियाभर में अलग-अलग तारीख को खेल दिवस मनाया जाता है। भारत में हर साल 29 अगस्त को नेशनल स्पोर्ट्स डे (राष्ट्रीय खेल दिवस) मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं भारत में हर साल 29 अगस्त को ही राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाया जाता है..? चलिए हम आपको बताते है इसके पीछे की कहानी....
फिट और स्वस्थ रहने के लिए खेलों का बड़ा महत्व:
पीएम मोदी ने भारत में खेलों को काफी बढ़ावा दिया है। पिछले कुछ सालों में देश ने बड़े-बड़े टूर्नामेंट में काफी मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। नेशनल स्पोर्ट्स डे (राष्ट्रीय खेल दिवस) का ही नतीजा है कि देश में गांवों से निकलकर युवा देश के लिए गोल्ड मेडल जीत रहे हैं। इससे खिलाड़ी और युवा फिट और स्वस्थ होने के महत्व को समझते हैं। फिटनेस और स्वास्थ्य दोनों के लिए खेल अमृत के सामान है।
मेजर ध्यानचंद की जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस:
भारत में इस समय भले ही क्रिकेट को सबसे ज्यादा देखा जाता है। लेकिन एक दौर था जब भारत की पहचान क्रिकेट नहीं बल्कि हॉकी हुआ करती थी। हॉकी की दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी भारत में ही हुआ। जी हां, मेजर ध्यानचंद जिन्हे हॉकी के जादूगर के नाम से जाना जाता है। उनकी जयंती में पर देश में हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज जन्मदिन है। उन्होंने 1926 से 1949 तक अपने करियर में करीब एक हज़ार से अधिक गोल दागे।
जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी थे इनके खेल के मुरीद:
मेजर ध्यानचंद ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। इस हॉकी के जादूगर के प्रशंसक दुनियाभर में देखने को मिले। जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी मेजर ध्यानचंद के खेल से बहुत प्रभावित हुए थे और ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता ग्रहण करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन मेजर ध्यानचंद ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत देश के लिए खेलने का निर्णय लिया।
हॉकी स्टीक में चुंबक होने का शक:
मेजर ध्यानचंद इतनी कमाल की हॉकी खेलते थे कि कई लोगों को लगता था कि कहीं उनकी हॉकी में चुंबक तो नहीं है। एक बार हॉलेंड के खिलाफ एक मैच के दौरान मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टीक को बाकायदा तोड़कर देखा गया कि कहीं उसमें चुंबक तो नहीं है। लेकिन फिर कुछ नहीं मिलता तो वो लोग हैरान हो जाते थे। तब से इनको हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।