Neeraj Chopra: मलाई—चूरमा खाकर मोटे हुए नीरज के पहले भाले पर कोच ने दांतों में दबा ली अंगुली

Neeraj Chopra Gold Medal: रोटी, घी और शक्कर को मिलाकर बनने वाला चूरमा और दूध की ताजा मलाई खाने का नीरज चोपड़ा को बचपन से ही शौक था। उनका यह शौक ही किशोरावस्था में उनके लिए मुश्किल का कारण बन गया।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Shivani
Update: 2021-08-08 07:32 GMT

Neeraj Chopra Photo Instagram 

Neeraj Chopra Gold Medal: मलाई और राजस्थान—हरियाणा की मशहूर मिठाई चूरमा खाने के शौकीन नीरज चोपड़ा ने जब पहली बार भाला फेंका तो उनके पहले (Neeraj Chopra Coach) कोच जयवीर भी दंग रह गए। जयवीर की तत्काल प्रतिक्रिया थी कि यह तो नेचुरल खिलाड़ी है। उसके बाद नीरज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मोटापे से मुक्ति पाने के लिए स्टेडियम पहुंचे नीरज ने अपनी फिटनेस और अद्भुत जोश के साथ सोने का भाला फेंक कर भारत का सिर शान से उंचा कर दिया।

नीरज चोपड़ा का वजन

रोटी, घी और शक्कर को मिलाकर बनने वाला चूरमा और दूध की ताजा मलाई खाने का नीरज चोपड़ा को बचपन से ही शौक था। उनका यह शौक ही किशोरावस्था में उनके लिए मुश्किल का कारण बन गया। महज 13 साल की उम्र में ही उनका वजन 80 किलोग्राम हो चुका था। नीरज के साथ के लड़के उनके मोटापे को लेकर चिढ़ाने लगे थे। Neeraj Chopra Ke Chahchaभीम चोपड़ा को पता चल गया कि नीरज के साथी बच्चे उसे चिढ़ाते हैं। इसका असर नीरज पर यह पड़ा कि उसने साथियों के साथ खेलना बंद कर दिया। घर से निकलना भी कम हो गया तो चाचा भीम चोपड़ा उसे लेकर पानीपत के खेल स्टेडियम पहुंचे। वहां उन्होंने जिमनॉस्टिक के प्रशिक्षक से कहा कि वह नीरज चोपड़ा को वजन घटाने और फिट बनने में मदद करें।

नीरज उस स्टेडियम के ट्रैक पर हर रोज दौड़ लगाने लगे। स्टेडियम में भाला फेंकने का प्रशिक्षण कुछ बच्चों को कोच जयवीर देते थे। दौड़ लगाने के दौरान नीरज अक्सर भाला फेंक रहे बच्चों को देखा करते थे। एक दिन जयवीर ने नीरज से पूछा —भाला फेंकेगा । नीरज ने हां कहा और पहला भाला फेंका तो कोच जयवीर ने दांतों तले अंगुली दबा ली। नीरज के भाला फेंकने को देखकर उनके पहले शब्द थे — यह तो नेचुरल है।

ओलंपियन नीरज चोपड़ा का बचपन

कोच जयवीर ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्हें उसी दिन अहसास हो गया था कि यह लड़का देश का नाम रोशन करेगा। नीरज में स्वाभाविक तौर पर भाला फेंकने वाले खिलाड़ी के सभी गुण हैं। स्टेडियम में भाला फेंकना सीखना शुरू करने के लिए नीरज ने सबसे पहले सात हजार रुपये का भाला खरीदा जो उनके चाचा ने उन्हें दिलाया था। 2015 में जयवीर ही नीरज को लेकर पंचकुला के ताउ देवीलाल स्टेडियम में भाला फेंक स्पर्धा के कोच नसीम अहमद के पास पहुंचे। नसीम से खेल की बारीकियां सीखने वाले नीरज ने एक—एक कर देश की प्रतियोगिताओं को अपने नाम करना शुरू कर दिया।


नेशनल प्रतियोगिताओं को खेलने के लिए बाद में नीरज ने एक लाख रुपये का नया भाला खरीदा। इसके बाद वह लगातार प्रतियोगिताओं में मेडल अपने नाम करते गए। रियो ओलंपिक से पहले 2016 में उन्होंने आईएएएफ वल्र्ड अंडर 20 प्रतियोगिता 86.48 मीटर तक भाला फेंक कर जीती। लेकिन ओलंपिक के गोल्ड के मायने इससे भी समझे जा सकते हैं कि जहां पूरा देश नीरज की जय—जयकार कर रहा है वहीं उनके पिता सतीश ने बताया कि प्रतियोगिता की रात वह पूरी तरह सो नहीं सके। ईश्वर से प्रार्थना करते रहे कि उनका बेटा जीत कर आए। जबकि नीरज के चाचा ने कहा कि जिस बच्चे को मोटापे की वजह से हमउम्र बच्चे चिढ़ाया करते थे वह आज देश का हीरो है।


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