O. Chandrasekharan Ka Nidhan: पूर्व ओलंपियन ओ. चंद्रशेखरन का निधन, AIFF ने जताया शोक
O. Chandrasekharan Ka Nidhan: भारतीय फुटबॉल टीम के स्टार प्लेयर और पूर्व ओलंपियन ओ. चंद्रशेखरन का निधन हो गया। 1962 के एशियाई खेलों में चंद्रशेखरन गोल्ड मेडल जीतने वाले टीम के सदस्य थे।
O. Chandrasekharan Ka Nidhan: भारतीय फुटबॉल टीम के स्टार प्लेयर और पूर्व ओलंपियन ओ. चंद्रशेखरन (Ex-olympian O. Chandrasekharan) का निधन हो गया। 1962 के एशियाई खेलों (Asian Games)में चंद्रशेखरन गोल्ड मेडल जीतने वाले टीम के सदस्य थे। फुटबॉल खेल में शानदार प्रदर्शन करने वाले 86 वर्ष के ओ. चंद्रशेखरन ने बीते मंगलवार को दुनिया को अलविदा कह गए।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को कोच्चि में स्थित आवास पर ओ. चंद्रशेखरन (O. Chandrasekaran passed away) ने अंतिम सांस ली। वहीं एआईएफएफ (All India Football Federation) ने इस बारे में जानकारी देते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
एआईएफएफ अध्यक्ष ने व्यक्त किया शोक
एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने ओ. चंद्रशेखरन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "यह सुनकर दुख हुआ कि चंद्रशेखर नहीं रहे। वह अब तक की सबसे सफल भारतीय टीमों में से एक का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। भारतीय खेल में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। मैं दुख साझा करता हूं।"
आपको बता दें कि ओ. चंद्रशेखरन भारतीय फुटबॉल टीम (Indian football team) के एक डिफेंडर खिलाड़ी थे। उन्होंने साल 1960 में हुए रोम ओलंपिक (Rome Olympics 1960) में भी हिस्सा लिया था। वहीं साल 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों ( Asian Games 1962) में गोल्ड मेडल जीतने वाले टीम के वे सदस्य थे। इसके अलावा वे 1964 में आयोजित किए गए एएफसी एशियाई कप (AFC Asian Cup in 1964) में उपविजेता रही टीम के सदस्य भी थे।
कौन थें ओ. चंद्रशेखरन (Kaun The O. Chandrasekaran)
एक डिफेंडर वह भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा थे जिसने रोम में 1960 के ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। वह 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों (Asian Games 1962) में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के सदस्य भी रहे। साथ ही उन्होंने 1964 में हुए एएफसी एशियाई कप (AFC Asian Cup 1964) में उपविजेता रही टीम के भी सदस्य रहे।
बताते चलें कि उनके नाम पर कुल 25 कैप हैं। उन्होंने 1959 में आयोजित किए गए एशियाई कप क्वालिफायर में भी हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने अपने खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू किया। इसके अलावा उन्होंने 1959 से लेकर1965 तक संतोष ट्रॉफी (Santosh Trophy) के लिए महाराष्ट्र का नेतृत्व किया। इस बीच उन्होंने 1963 में ट्रॉफी अपने नाम किया था।