Olympic Games For India: ओलंपिक में हार कर भी इन खिलाड़ियों ने रचा इतिहास, जानें कैसे किया ये कमाल

Olympic Games For India: टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। खेलों के इस महाकुंभ में भारत के कई ऐसे खिलाड़ी है, जो अपने खेल के मुकाबले में हार कर भी नया इतिहास रचा है।

Written By :  Chitra Singh
Update: 2021-08-07 06:15 GMT
भवानी देवी, अतनु दास-दीपिका कुमारी, और भारतीय महिला हॉकी टीम (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Olympic Games For India: टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। इस बार के ओलंपिक में जहां कुछ खिलाड़ियों ने भारत को मेडल दिलाया है, तो वहीं कुछ खिलाड़ियों ने हार कर भी देश की शान बढ़ाई है। ऐसे खिलाड़ियों को पूरा देश सलाम करता है। उनके शानदार प्रदर्शन को देश हमेशा याद रहेगा। चलिए आपको बताते है उन सभी खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने ओलंपिक में हार कर भी एक नया इतिहास रचा दिया।

कोरोना काल के इस दौर में भारतीय खिलाड़ियों ने ओलंपिक में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। एक तरफ जहां मीराबाई चानू, पीवी सिंधु जैसी तमाम खिलाड़ियों ने मेडल जीतकर देश के चेहरे पर बिखेरा है, वहीं कड़ी मशक्कत करने के बाद भी भवानी देवी, भारतीय हॉकी टीम समेत कई धुरंधर खिलाड़ियों ने हार का सामना करना पड़ा। उनके हार से ना केवल वे खिलाड़ी रोए बल्कि पूरा देश रोया। लेकिन कहते है न "कुछ जीतने के लिए हारना पड़ता है और हार कर जीतने वाले को ही बाज़ीगर कहा जाता है"। कुछ ऐसा ही है हमारे ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों की।

भवानी देवी (C. A. Bhavani Devi)

ओपंलिक में हार का सामने करने के बाद पूरे देश को भावुक करने वाली एक ऐसी खिलाड़ी ओलंपिक में अपना शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी अपना हार का सामना करना पड़ा, लेकिन खुशी की बात तो यह है कि इस खिलाड़ी ने हार कर भी एक नया इतिहास रचा है। ओलंपिक में पहली बार तलवारबाजी (Fencing) में भारत भाग लिया था। इस खेल में भारत की तरफ से भवानी देवी ने हिस्सा लिया था। इस खेल के पहले राउंड में भवानी ने तुनिशिया की नादिआ बिन अज़ीज़ी को 15-3 से मात देकर पूरे देश का दिल जीत लिया था, लेकिन दूसरे राउंड में कड़ी मशक्कत के बाद भी वे मेनन ब्रूनेट से 7-15 से हार गई। इस हार के बाद वे काफी उदास हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश से माफी मांगी थी, जिस पर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए उनका हौसला बढ़ाया था।

अतनु दास (Atanu Das)

देश को भावुक करने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी का नाम है- भारती तीरंदाज अतनु दास। तीरंदाजी के प्री क्वार्टर फाइनल में महिला तीरंदाज के दीपिका कुमारी के हार के बाद पूरे देश की नजर अतनु दास पर टिकी हुई थी, अतनु दास ने प्री क्वार्टर फाइनल क्वालीफाई करने के लिए पूरा जोर लगा दिया लेकिन वे ये मुकाबला जीत न सके। इस असफलता के बाद वे काफी भावुक हुए थे, जिसके बाद वे सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश से माफी मांगी थी।

मुक्केबाज सतीश कुमार (Satish Kumar Boxer)

ओलंपिक में भारत को पूरी उम्मीद थी कि मुक्केबाजी में भारतीय खिलाड़ी सतीश का जादू जरूर चलेगा और वे देश को मेडल दिलाने में सफल रहेंगे, लेकिन मुक्केबाजी के प्री क्वॉर्टर फाइनल के दौरान उनके माथे और ठोड़ी पर गंभीर चोट लग गई, जिसके कारण उनके चेहरे पर 13 टांके लगाने पड़े थे। इसके बावजूद भी वे क्वार्टर फाइनल के ल मुकाबले के लिए रिंग में उतरे। इस दौरान उनका परिवार मना कर रहा था कि वे ये खेल ना खेले लेकिन वे नहीं माने और पूरे जोश के साथ उज्बेकिस्तान के सुपरस्टार बखोदिर जालोलोव (Bakhodir Jalolov) के साथ मुकाबला किया। हालांकि वे ये मुकाबला नहीं जीत सके, लेकिन चोटिल होने के बावजूद उन्होंने इसे जीतने की पूरी कोशिश की। सतीश के इस कारनामे को पूरा देश सलाम करता है।

कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur)

ओलंपिक में भारतीय महिला डिस्कस थ्रो के मुकाबले में जलवा बिखेरने वाली कमलप्रीत कौर क्वालीफिकेशन राउंड में 64 मीटर दूर डिस्कस फेंक कर फाइनल तक पहुंची थी। फाइनल से पहले कमलप्रीत किसी वजह से चोटिल हो गई थी, इसके बावजूद उन्होंने फाइनल राउंड में हिस्सा लिया। हालांकि वे इस मुकाबले में सफल नहीं रही, लेकिन उन्होंने इस मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करके सभी भारतीयों का दिल जीत लिया।

भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women's Hockey Team)

शायद ही कोई ऐसा हो, जो इस पल को भूल पाए। ओलंपिक में शुरुआती मैचों में हार मिलने के बाद भी कड़ी मेहनत और लगन से भारतीय महिला हॉकी टीम सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। सेमीफाइनल तक पहुंचने के लिए भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 4-3 से मात दी थी। इसी दौरान भारतीय टीम की वंदना कटारिया (Vandana Kataria) ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार तीन गोल दागकर हैट्रिक गर्ल के नाम से मसहूर हो गई। वही सेमीफाइनल के मुकाबले में मेडल हासिल करने के लिए भारतीय टीम ने अर्जेंटीना से अंतिम सांस तक लड़ती रही, लेकिन वे इस मैच को जीत न सकी।

ओलंपिक में पहली सेमीफाइनल में पहुंचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की आस अभी टूटी नहीं थी, उनके पास एक और मौका था, ब्रॉन्ज मेडल जीतने का। इस जीतने के लिए उन्हें ग्रेट ब्रिटेन की टीम से मुकाबला करना पड़ा। ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने और भारत को हराने के लिए ग्रेट ब्रिटेन की टीम के छक्के छूट गए, हालांकि उन्होंने आखिरी वक्त में चौथा गोल दाग कर ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर लिया। वहीं इतनी दूरी तक आकर खाली हाथ लौटने वाली भारतीय टीम काफी हतास हो गई और वहीं फील्ड में रो पड़ी। इतना ही इनके साथ-साथ -पूरा भारत रो पड़ा था। लेकिन इनके प्रदर्शन को देखकर ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया इनकी सराहना कर रहा है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में हार कर भी एक नया इतिहास रचा है।

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