PR Shreejesh: भारतीय हॉकी टीम के लिए ‘दीवार’ बने पीआर श्रीजेश, नहीं होता ऐसा गोलकीपर तो भारत के लिए पूरा नहीं हो पाता मेडल का सपना
PR Sreejesh: भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पूरे ओलंपिक में किया जबरदस्त प्रदर्शन, भारत के लिए गोलपोस्ट पर ढाल बने पीआर श्रीजेश
PR Sreejesh: पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। ओलंपिक खेलों में हॉकी पुरुष स्पर्धा में जबरदस्त प्रदर्शन के दम पर भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉंज मेडल पर कब्जा किया। गुरुवार को ओलंपिक में कांस्य पदक यानी तीसरे स्थान के लिए हुए मैच में भारत ने स्पेन को 2-1 से हराकर लगातार दूसरे ओलंपिक में ब्रॉंज मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की। इसके साथ ही भारतीय हॉकी एक बार फिर से अपने ट्रेक पर लौटती नजर आ रही है।
भारतीय हॉकी टीम के कांस्य जीतने में गोलकीपर पीआर श्रीजेश का रहा खास रोल
भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल मैच में जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन यहां भारतीय टीम के हॉकी के वीरों ने देश को निराश नहीं किया और 52 साल के बाद लगातार 2 ओलंपिक में मेडल जीतने का कारनामा किया है। भारत की हॉकी टीम की इस जीत में सबसे बड़ा और अहम चेहरा हमारे देश की हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश साबित हुए, जिन्होंने गोल पोस्ट को अभेद किला बना दिया और दुश्मनों के हर अटैक को नाकाम करने का काम किया।
पीआर श्रीजेश बने भारत के लिए गोलपोस्ट पर दीवार
जी हां... पीआर श्रीजेश इस खिलाड़ी ने पेरिस ओलंपिक में गोलपोस्ट के आगे ऐसे खड़े रहे मानो मजबूत दीवार खड़ी है, जहां उन्होंने विरोधी टीम के हर एक हमले को नाकाम किया है। पीआर श्रीजेश ने इस ओलंपिक में भारत के लिए वो काम किया है, जैसा क्रिकेट में भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ किया करते थे, जिन्हें दीवार के नाम से पहचान मिली। ऐसे में अब हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश को भारतीय खेलों की दूसरी दीवार माना जा सकता है। यहां श्रीजेश का प्रदर्शन ऐसा रहा कि अगर वो ना होते तो आज भारत कांस्य पदक नहीं जीत पाता।
भारत के इस पूरे ओलंपिक में 106 विरोधी अटैक में से सिर्फ 10 गोल खाए
पीआर श्रीजेश ने इस ओलंपिक की शुरुआत से ही गोलकीपर के रूप में कमाल किया। इस गोलकीपर के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस पूरे ओलंपिक में विरोधी टीमों की तरफ से हुए कुल 106 हमलों में 96 हमलों को नाकाम कर दिया तो वहीं सिर्फ 10 गोल खाए। इस दौरान ब्रिटेन के खिलाफ पीआर श्रीजेश के सामने 21 हमले हुए, लेकिन उन्होंने ब्रिटेन को सिर्फ 1 गोल करने दिया। पीआर श्रीजेश का इतना जबरदस्त प्रभुत्व देखते हुए तो उन्हें भारत की जीत का सबसे बड़ा सूत्रधार माना जा सकता है।
पीआर श्रीजेश ने इंटरनेशनल हॉकी से लिया संन्यास
पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद ही भारतीय हॉकी टीम के इस महान गोलकीपर ने अपने इंटरनेशनल हॉकी करियर को भी अलविदा कह दिया है। पीआर श्रीजेश ने साल 2006 में एशियन गेम्स के दौरान डेब्यू किया था, जिसके बाद वो भारतीय हॉकी के लिए 300 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेले। इस खिलाड़ी के भारत के लिए गोलकीपर के रूप में योगदान के लिए उन्हें बहुत बड़ा श्रेय दिया जाना चाहिए।