Sourav Ganguly Birthday: सौरव गांगुली ने पूरे किए अर्धशतक, जाने "दादा" के करियर से जुड़ी रोचक बाते
भारत के दिग्गज कप्तानों में से एक सौरव गांगुली आज 50 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने बतौर कप्तान और बल्लेबाज कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आइए एक नजर "दादा" के करियर पर डालते हैं।
पूर्व भारतीय कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली आज अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं। गांगुली ने क्रिकेट के मैदान और मैदान के बाहर कई उपाधियां हासिल की हैं। आज भारतीय क्रिकेट जिस मुकाम पर है उसके लिए पहला श्रेय गांगुली को ही दिया जाता है। आज गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष रहते टीम इंडिया देश विदेश में परचम लहरा रही है, वहीं एक वक्त था जब गांगुली ने अपनी कप्तानी में एक नए भारतीय टीम की नींव रखी थी। जितना गांगुली की कप्तानी को सराहा जाता है उतना ही उनकी बल्लेबाजी को भी याद किया जाता है।
डेब्यू मैच में जड़ा था शतक
सौरव गांगुली ने राहुल द्रविड़ के साथ साल 1996 में लॉर्ड्स के मैदान पर डेब्यू किया था। क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर डेब्यू करना अपने आप में बड़ी बात थी, मगर गांगुली ने अपने डेब्यू पर शतक जड़ इस लम्हे को और यादगार बना दिया। गांगुली ने आपके करियर में 113 टेस्ट मैचों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाएं। इसमें 16 शतक और 35 अर्धशतक भी शामिल हैं। वहीं वनडे की बात करें तो उन्होंने 311 वनडे मैचों में 41 के औसत से 11363 रन बनाएं। जिसमें 22 शतक और 72 अर्धशतक शामिल हैं। भारत के तरफ से विश्व कप में सबसे बड़ा स्कोर 183 रन उनके ही नाम है।
लॉर्ड्स के बालकनी से टी-शर्ट लहराना
जब भी गांगुली या भारतीय क्रिकेट इतिहास की बात होगी, नेटवेस्ट ट्रॉफी का जिक्र जरूर आएगा। 2002 में खेले गए नेटवेस्ट सीरीज में भारत को फाइनल में इंग्लेंड के खिलाफ जीतने के लिए 326 रन चाहिए थे। 146 रनों पर आधी भारतीय टीम पवेलियन लौट चुकी थी। मगर फिर दो युवा खिलाड़ी मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने भारत को लक्ष्य के पर पहुंचा दिया। जीत की खुशी ऐसी की गांगुली खुद को रोक न पाए और लॉर्ड्स के बालकनी में टी-शर्ट उतार कर लहरा दिया।
गांगुली की कप्तानी में 2003 विश्व कप के फाइनल तक पहुंची टीम इंडिया
वह गांगुली ही थे जिनकी कप्तानी में भारतीय टीम 1983 के बाद पहली बार 2003 विश्व कप फाइनल में पहुंची थी। फाइनल में भारत का मुकाबला उस समय के सबसे खतरनाक टीम ऑस्ट्रेलिया से था। ऑस्ट्रेलिया के सामने फाइनल में भारत को 125 रनों से हार का सामना करना पड़ा। भले ही भारतीय टीम का विश्व कप जीतने का सपना अधूरा रह गया, मगर भारत के लड़ने के जज्जबे ने पूरे भारतीय टीम में एक नया आत्मविश्वास भर दिया, जो आज भी दिखता है।
बतौर कप्तान कई रिकॉर्ड
गांगुली ने भारत के लिए 146 वनडे मैचों में टीम का नेतृत्व किया। जिसमें 76 मैचों में भारतीय टीम को जीत मिली, वहीं 65 मुकाबलों में टीम को हार का सामना करना पड़ा और 5 मैच बेनतीजा रहा। टेस्ट की बात करें तो दादा ने 49 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की थी। जिसमें 21 मैचों में टीम को जीत मिली, 15 मुकाबले ड्रॉ रहे और 13 मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा। गांगुली के कप्तानी में ही भारत ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में 2-1 सीरीज हराकर उसके 16 मैचों के जीत के क्रम को रोका था। गांगुली ने अपना पहला आईसीसी खिताब 2002 में जीता था, जब भारत और श्रीलंका को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का संयुक्त विजेता बनाया गया था। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद दादा क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष बने और अभी वर्तमान में वह बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं।