पिता बेचते हैं दूध, बेटी बनी नेशनल हॉकी पूल का हिस्सा

Update: 2018-08-12 05:03 GMT

बक्सर: कहते है मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस उदाहरण को बक्सर की बिटिया पूजा ने सच साबित कर दिखाया है। स्टिक ड्रिबल में शानदार क्षमता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के प्रशिक्षण के लिए पूजा का चयन किया गया है।

बिहार के लिए अंडर 16 टीम में खेल चुकी है

जिले से पूजा पहली खिलाड़ी हैं जो नेशनल कोचिंग कैंप के लिए चुनी गई हैं। पूजा को बक्सर में अभ्यास के लिए माकूल मैदान नहीं मिला। फिर भी उसने अपनी मेहनत जारी रखी। इससे पहले पूजा बिहार के लिए अंडर 16 टीम में खेल चुकी हैं। इस वर्ष मई में इंटर स्टेट चैंपियनशिप में खेल के दौरान दिल्ली में नेशनल हॉकी एकेडमी के कोच और अंतराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रहे एमपी गणेश पूजा की ड्रिबङ्क्षलग क्षमता से काफी प्रभावित हुए।

अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के लिए होने वाले प्रशिक्षण कैंप में उसका नाम प्रस्तावित किया। इस आधार पर पूजा को खेलो इंडिया के तहत नेशनल हॉकी एकेडमी ने चुना और इस महीने से दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पूजा का प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया। तकरीबन एक साल तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में सब कुछ ठीकठाक रहा तो वह अंडर 14-17 आयु वर्ग में हॉकी के अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकेगी।

पिता बेचते हैं दूध

पूजा बक्सर के छोटकी सारीमपुर में निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आती है। उसके पिता विजय शंकर यादव दूध बेच अपना परिवार चलाते हैं। परिवार का खेलकूद से कोई नाता नहीं है। प्रतिदिन स्कूल से घर जाने के बाद वह शाम में प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के लिए ढाई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल ग्राउंड में आती थी।

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मुश्किल हालात में भी जारी रखी प्रैक्टिस

जिला हॉकी संघ के कोच सलमान खान बताते हैं कि पूजा को पहले ही दिन जब उन्होंने स्टिक पकड़ने का तरीका बताया और जिस तरह से वह तुरंत उसे फॉलो कर गई, तभी उन्हें लगा था कि वह आगे जाएगी। पिछले साल राज्यस्तरीय अंतर जिला हॉकी प्रतियोगिता में उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। प्रतियोगिता में उसने एक दर्जन गोल के लिए मूव बनाए। तेज दौड़ और ड्रिबल करते हुए गेंद लेकर विपक्ष के गोल पोस्ट में घुसने की उसकी क्षमता के कारण उन्होंने उसे सेंटर फॉरवर्ड के लिए प्रशिक्षित किया। कोच ने बताया कि मैदान में घास नहीं होने के कारण दौड़ने में कई बार पूजा के पैरों में छाले पड़ गए, लेकिन कभी उसने अपना अभ्यास बंद नहीं किया।

 

 

 

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