तीस पैसे में नहीं खरीद सकते एक पैर का जूता, ओलंपिक से लौटेंगे खाली हाथ
खेलकूद और शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों ने इस बजट को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा कि इस बजट में किसी भी स्तर पर, किसी भी खेल प्रतियोगिता का आयोजन करना संभव नहीं है। एक शिक्षक ने इस बजट को सरकारी दिखावा बताते हुए कहा कि इससे खिलाड़ियों के लिए महंगे उपकरण खरीदना तो दूर की बात, आप एक पैर का जूता भी नहीं खरीद सकते।
फोटो साभार: इंडियन एक्सप्रेस
आगरा: ओलंपिक गुजर गया लेकिन देश वासियों के दिलों में मलाल छोड़ गया। 117 खिलाड़ियों का दल सिर्फ 2 मेडल लेकर लौटा, जिसमें गोल्ड एक भी नहीं है। जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है, तो हॉकी समेत कई खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों ने प्रतिनिधित्व किया। लेकिन प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा।
सवाल फिर वही, कि अपने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए सुविधाएं कब मिलेंगी। आगरा में इस साल खेलों के लिए दिए गए सरकारी बजट से इसकी पोल खुल जाती है।
आह यह बजट !
-सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, आगरा में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत 2,958 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इसमें शहर के 154 स्कूल शामिल हैं।
-इस बार जिले के इन प्राइमरी स्कूलों के 3 लाख बच्चों के लिए सरकार ने 90 हजार का बजट पास किया है।
-जिला 15 ब्लाक्स में बंटा हुआ है। इस हिसाब से प्रत्येक ब्लॉक में खेल के लिए 5,600 रूपए आवंटित किए गए हैं। यानी 30 पैसे प्रति छात्र।
-जबकि, इसी पैसे में जिला स्तरीय खेल प्रतियगिताओं के आयोजन का खर्च भी शामिल है।
फोटो साभार: फुटबॉल काउंटर.कॉम
बड़ी समस्या
-अक्टूबर में ग्राम पंचायत स्तर से राज्य स्तर तक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
-विजेता खिलाड़ी ग्राम पंचायत से ब्लॉक, उसके बाद जिला और फिर राज्य स्तर तक खेलने जाएंगे।
-इन स्कूलों और प्रतियोगिताओं के आयोजकों को इसी 90 हजार की राशि में ट्रेनिंग से लेकर आयोजन तक को पूरा कराना है।
नहीं खरीद सकते एक पैर का जूता
-खेलकूद और शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों ने इस बजट को मूर्खतापूर्ण बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है।
-शारीरिक शिक्षा के शिक्षक राम प्रकाश यादव ने कहा कि इस बजट में किसी भी स्तर पर, किसी भी खेल प्रतियोगिता का आयोजन करना संभव नहीं है।
-एक शिक्षक ने इस बजट को सरकारी दिखावा बताते हुए कहा कि इससे खिलाड़ियों के लिए महंगे उपकरण खरीदना तो दूर की बात, आप एक पैर का जूता भी नहीं खरीद सकते।
-वरिष्ठ शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक संघ के शहर सचिव ने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों के छात्रों की तुलना निजी स्कूलों के छात्रों से करना चाहती है, लेकिन बजट नहीं देना चाहती।