Tokyo Paralympics: विनोद कुमार को नहीं मिलेगा जीता मेडल, जानिए क्या है वजह

Tokyo Paralympics: डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार ने कांस्य पदक नहीं दिया जाएगा। रविवार को उन्होंने यह मेडल जीता था।

Newstrack :  Network
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-08-30 10:22 GMT

विनोद कुमार (फोटो: सोशल मीडिया)

Tokyo Paralympics: टोक्यो पैराओलंपिक (Tokyo Paralympics) में भारत के हाथ से एक पदक निकल गया है। डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार ने कांस्य पदक नहीं दिया जाएगा। रविवार को उन्होंने मेडल जीता था, लेकिन उसे रोक दिया गया था। आयोजनकों ने अब फैसला लिया है कि विनोद कुमार को वह मेडल नहीं मिलेगा। टोक्यो पैरालंपिक के तकनीकी प्रतिनिधि ने यह फैसला किया है विनोद कुमार डिस्कस थ्रो (F52 क्लास) के लिए योग्य श्रेणी में नहीं आते हैं।

जानिए क्या है मामला

डिस्कस थ्रो एथलीट विनोद कुमार ने पुरूषों की F52 प्रतियोगिता में कांस्य पदक अपने नाम किया था, लेकिन उनकी दिव्यांगता क्लासीफिकेशन का विरोध होने के बाद उनका मेडल रोक दिया गया था। विनोद का आयोजकों द्वारा 22 अगस्त को क्लासिफिकेशन किया गया था। अब आयोजकों ने बयान जारी कहा है कि पैनल ने जांच किया है कि उनका क्लासिफिकेशन पूरा नहीं हुआ था। इसलिए वह एथलीट पुरुषों की एफ52 चक्का फेंक प्रतियोगिता के लिए अयोग्य हैं और उसका नतीजा अमान्य माना गया है। 
विनोद कुमार के पदक जीतने के बाद किसी खिलाड़ी ने उनकी जीत का विरोध किया था। 

क्या है F52 प्रतियोगिता
41 वर्षीय विनोद कुमार F52 कैटेगरी में खेल रहे हैं। जिन ऐथलीट्स की मांसपेशियों में कमजोरी होती है उनको F52 कैटेगरी में शामिल किया जाता है।खिलाड़ी का मूवमेंट सीमित होता है, हाथों में कोई समस्या होती है और पैर की लंबाई में अंतर रहता है, तो इस प्रकार के खिलाड़ी व्हीलचेयर बैठकर अपना खेल खेलते हैं।

BSF में थे विनोद कुमार

विनोद कुमार बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) में तैनात थे। विनोद के पिता भारतीय सेना में थे और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में जंग लड़ी थी। लेकिन बीएसएफ में भर्ती होने के सात महीने बाद ही एक हादसे में वह लकवा ग्रसित हो गए। दरअसल वह लेह में तैनाती के दौरान पहाड़ की चोटी से गिर गए थे। इसके बाद वह जीवनभर चल-फिर नहीं सकते थे। उनको अपना जीवन व्हील चेयर पर बिताना था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन की नई राह चुनी। विनाद कुमार ने पैरालिंपिक कमेटी अध्यक्ष दीपा मलिक से प्रभावित हैं और उनसे ही प्रेरणा लेकर खेलना शुरू किया। साल 2019 वर्ल्ड पैरा एथलीट ग्रैड प्रिक्स में उन्होंने अपना पहला पदक (कांस्य) जीता था।







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