Vinesh Phogat: किसानों के समर्थन में शंभू बॉर्डर पहुंची विनेश फोगाट, राजनीति को ज्वॉइन करने को लेकर तस्वीर कर दी साफ
Vinesh Phogat: विनेश फोगाट किसान आंदोलन में शामिल होने पहुंची, तो वहां उन्हें राजनीति में एन्ट्री करने का सवाल किया गया, जिसका उन्होंने खास अंदाज में जवाब दिया।
Vinesh Phogat: हमारे देश के किसान इस वक्त अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान पिछले करीब 200 दिन से सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की मांग कर रहे हैं। इस मांग का समर्थन करने के लिए भारतीय स्टार महिला पहलवान विनेश फोगाट शनिवार को शंभू बॉर्डर पर पहुंची। पेरिस ओलंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद भी अयोग्य ठहराएं जाने के बाद मेडल से चूकने वाली विनेश फोगाट काफी चर्चा में है और इसी चर्चा के बीच वो किसानों का समर्थन करने के लिए पहुंची।
किसानों का समर्थन करने पहुंची विनेश फोगाट
विनेश फोगाट के किसानों के साथ समर्थन करने और उनके साथ खड़े होने को लेकर अब राजनीति में फिर से सवालों की बौछार होने लगी है। जहां हर कोई उन्हें राजनीति में कांग्रेस पार्टी से उतरने की संभावना व्यक्त कर रहा है। वैसे भी कुछ ही समय बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में विनेश फोगाट से राजनीति में उतरने के सवाल खूब पूछे जा रहे हैं, तो इसी बीच शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए पहुंचने पर भी विनेश से यही सवाल किया गया, जिसका उन्होंने बहुत ही खास अंदाज में जवाब दिया।
विनेश से राजनीति में उतरने का सवाल, इस स्टार खिलाड़ी ने दिया खास अंदाज में जवाब
शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में भाग लेने और उन्हें अपना समर्थन देने पहुंची विनेश फोगाट से पूछा गया कि, "क्या वह पॉलिटिक्स में कब ज्वॉइन कब करेंगी? अगर कांग्रेस उन्हें हरियाणा से मैदान में उतारती है तो क्या वह चुनाव लड़ेंगी? इस सवाल पर विनेश फोगाट ने कहा कि, मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहती। मैं अपने परिवार के सदस्यों (किसानों) से मिलने आई हूं और अगर आप इसे घुमाएंगे तो उनकी लड़ाई और संघर्ष बर्बाद हो जाएगा। फोकस मुझ पर नहीं, बल्कि किसान समुदाय पर होना चाहिए। मैं एक खिलाड़ी और भारतीय नागरिक हूं। चुनाव मेरे लिए मायने नहीं रखता है, मेरा मकसद किसानों की भलाई है।"
विनेश ने कहा- सरकार को सुननी चाहिए हमारे किसान परिवारों की बात
इसके बाद विनेश फोगाट ने आगे कहा कि, "जब लोग मुद्दे उठाते हैं, तो उन्हें राजनीति, धर्म या समुदाय के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार को हमारे किसान परिवार की बात सुननी चाहिए। उन्हें बोलने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए। किसानों की मांगें जायज हैं, क्योंकि मैं किसान पृष्ठभूमि से हूं और समझती हूं कि मेरी मां ने मुझे कैसे बड़ा किया।"