Manu Bhaker: जब मनु ने निराश होकर बना लिया था शूटिंग छोड़ने का मन, जानें क्यों निराश हो गई थी देश की ये बेटी
Manu Bhaker: मनु भाकर ने रविवार को 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।
Manu Bhaker: भारत को रविवार के दिन पेरिस ओलंपिक से बहुत बड़ी खुशखबरी मिली, जब शूटिंग महिला स्टार खिलाड़ी मनु भाकर ने कांस्य पदक दिलाया और इसके साथ ही भारत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में अपना खाता खोल दिया। पेरिस ओलंपिक के तीसरे दिन भारत की बेटी मनु भाकर ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन कर तीसरा स्थान हासिल किया और इसके साथ ही उन्होंने ब्रांज मेडल पर कब्जा किया। मनु ने देश को इस ओलंपिक का पहला मेडल दिलाकर पूरे देश को जश्न का मौका दिला।
मनु ने देश को दिलाया पेरिस ओलंपिक का पहला पदक
हरियाणा की 22 वर्षीय मनु भाकर का नाम आज बच्चे से लेकर बूढ़े की जुबां पर छाया हुआ है। देश को इस ऐतिहासिक पल का अनुभव कराने वाली मनु भाकर ने ओलंपिक के इतिहास में 12 साल के बाद शूटिंग में मेडल दिलाया। वहीं मनु शूटिंग स्पर्धा में ओलंपिक इतिहास में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। मनु ने ये ऐतिहासिक कामयाबी अपनी कड़ी मेहनत और हौंसलें से हासिल की है।
जब मनु ने शूटिंग को छोड़ने का बना लिया था मन
आज मनु भाकर देश की झोली में मेडल डालकर पूरे देशवासियों की चहेती बन गई हैं, लेकिन एक वक्त था जब मनु ने शूटिंग को छोड़ने का मन बना लिया था। इस बात का खुलासा खुद इस देश की बेटी ने किया और बताया कि वो लगातार चौथे और पांचवें नंबर पर आने की वजह से इतनी निराश हो गई थी कि निशानेबाजी छोड़ने का मन बना लिया था।
हर बार चौथे-पांचवें नंबर पर आने से हो गई थी निराश
मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतने के बाद एक इंटरव्यू में बात करते हुए कहा कि, मैं हर प्रतियोगिता में एक समय चौथे या पांचवें नंबर पर आ रही थी। इस दौरान मैं काफी ज्यादा निराश थी। मैंने सोच लिया था कि अगर मैं पेरिस ओलंपिक में जगह नहीं बना पाई तो निशानेबाजी छोड़ दूंगी। मैंने आखिरी टूर्नामेंट में भी चौथे या पांचवें स्थान पर थी। मुझे लगा मेरा सपना टूट गया है। लेकिन तभी सोच ने मुझे बताया कि मैं कोटा से पेरिस जा रही हूं। मैं तब बहुत ज्यादा खुश थी। मैंने कहा पेरिस मैं आ रही हूं।“
मनु ने कहा, अभी तो शुरुआत है, आगे और भी मेडल जीतेंगे
मनु ने आगे कहा कि, “जब मैं आखिरी शॉट लगा रही थी, तब मेरा ध्यान क्लियर था।मुझे पता था मुझे क्या करना है। मैं गीता पड़ती हूं। उसमे भगवान् श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि कर्म करो और फल की चिंता मत करो। मैं भी तब अपने शॉट पर ही ध्यान लगा रही थी। मैं परिणाम के बारे में नहीं सोच रही थी। मुझे बहुत खुशी ही रही है कि मैंने देश के लिए पदक जीता है। मुझे इस समय हर वो इंसान याद आ रहा है, जिसने मेरी इस सफर में मदद की है। अभी तो शुरुआत हुई है।आगे और मेडल आएंगे।“