Hackers से Alert: शिकार बन रहे लाखों ऑनलाइन यूजर्स, जाने कैसे बचें हैकर्स से

हैकर्स किसी जरूरी जानकारी को चुराने, पैसा चुराने और कभी-कभी लोगों को परेशान करने के लिए डाटा एन्क्रिप्ट करने जैसे कामों के लिए किसी सिस्टम को इंफेक्ट करते हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-06 18:37 IST

हैकर

Hacking : इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने और ऑनलाइन पेमेंट करने में हैकर्स सिर्फ क्लिक में लोगों का पूरा खाता ही खाली कर दे रहे हैं। हैकर्स लाखों का चूना लगाने के लिए कई कारणों से इंटरनेट से कनेक्टेड डिवाइसेज को अपना लक्ष्य बनाते हैं। ये हैकर्स किसी जरूरी जानकारी को चुराने, पैसा चुराने और कभी-कभी लोगों को परेशान करने के लिए डाटा एन्क्रिप्ट करने जैसे कामों के लिए किसी सिस्टम को इंफेक्ट करते हैं। लेकिन, अब हैकर्स प्रॉक्सीवेयर की सहायता से लोगों के इंटरनेट कनेक्शन बैंडविड्थ को बेचकर पैसा कमाने के लिए डिवाइसेज को अपना लक्ष्य बना रहे हैं।

हैकर्स के इन धोखा-धड़ी कारनामों का पर्दाफाश करने के लिए किस्को टालोस (Cisco Talos) ने रिपोर्ट में बताया कि प्रोक्सीवेयर (proxyware) नाम की टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल हैकर्स द्वारा किया जा रहा है। ये हैकर्स, इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उन पीड़ितों को लक्ष्य बनाते हुए कर रहे हैं जिनके डिवाइस मैलवेयर से इंफेक्टिड हो गए हैं।

ऐसे में सामने आई ZDNet की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोक्सीवेयर (Proxyware) अपने आप में गैरकानूनी नहीं है और इसका इस्तेमाल सिक्योरिटी जैसे कामों के लिए किया जाता है। जबकि कुछ सॉफ्टवेयर जो इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं वो उपयोगकर्ताओं को उनके इंटरनेट कनेक्शन के साथ हॉटस्पॉट क्रिएट करने देते हैं और इसका इस्तेमाल होने पर यूजर्स को पैसा मिलता है।

हैकर्स ऐसे करते हैं छलावा

इंटरनेट कनेक्टिवटी का इस्तेमाल करते हुए अब अपराधियों द्वारा इसे गलत तरीके से उपयोग में लाया जा रहा है। ये हैकर्स इन लोगों की डिवाइसेज को बिना उनकी जानकारी के लक्ष्य बनाते हैं और इससे लाखों पैसा कमा रहे हैं। इनकी हैकिंग से आम लोगों का भारी नुकसान हो रहा है। क्योंकि आम लोगों को इन सब के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। इसलिए वे अपने इंटरनेट कनेक्शन बैंडविड्थ के किसी भी दुरुपयोग के बारे में नहीं जान पाते हैं और अनजाने में नुकसान झेलते हैं।

हैकिंग (फोटो- सोशल मीडिया)

सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सॉफ्टवेयर प्रॉक्सीवेयर को ट्रोजन इंफेक्टेड इंस्टॉलेशन फाइल की सहायता से इंस्टॉल किया जा सकता है। ये एक तकनीक है जो एक साथ पीड़ित के कंप्यूटर पर खतरनाक सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल कर सकता है। जिससे कंप्यूटर से कोई भी गुप्त सूचना का आदान-प्रदान किया जा सकता है।

इससे बचने के तरीके

सिस्टम से उन सभी एप्स को तुरंत डिलीट कर दें, जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है।

अपनी कोई भी डिवाइस में एप केवल गूगल प्ले स्टोर या ऐपल ऐप स्टोर जैसी जगहों से ही डाउनलोड करें। जिससे की खतरे की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है।

ये भी सुनिश्चित करें कि आपका सिक्योरिटी स्कैनपर ऑन हो और ये कम्प्यूटर को लगातार यानी थोड़े-थोड़े समय पर स्कैन करते रहे।

सबसे ध्यान देने योग्य बात- अनजान लिंक को क्लिक करने से बचें।

साथ ही सिस्टम में पायरेटेड गेम्स और एप्स से बिल्कुल दूर रहें।

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