11 मई का ये है इतिहास: दुनिया भर में ऐसे विख्यात हुआ भारत, दिखा दी अपनी ताकत

National Technology Day भारत में हर साल 11 मई को मनाया जाता है। सभी भारतीयों के लिए ये दिन बहुत गर्व का है।

Written By :  Vidushi Mishra
Update:2021-05-11 12:08 IST

नेशनल टेक्नोलॉजी डे(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस(National Technology Day) भारत में हर साल 11 मई को मनाया जाता है। सभी भारतीयों के लिए ये दिन बहुत गर्व का है। ये दिन ऐसा है जिसे हमारी आने वाली पीढ़ियों को भारत की उपलब्धि बताता रहेगा, कि हमारे भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में कितनी तरक्की कर ली है।

भारत का विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्या योगदान है और भारत ने इस क्षेत्र में क्या-क्या उपलब्धियों को हासिल किया है। साथ ही इस दिन के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प इतिहास छुपा हुआ है। तो चलिए आपको इन सभी सवालों के जवाब बताते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि क्या है National Technology Day का इतिहास।

11 मई 1998 ही वो यादगार दिन था, जब भारत ने सफल परमाणु परीक्षण किया था। ये भारतीयों के लिए बड़े गर्व का दिन है क्योंकि इसके बाद ही न्यूक्लियर हथियारों वाले देशों की लिस्ट में भारत का नाम शामिल हुआ था। इसे देशभर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बता दें, यह एक ऐसा दिन है जो हमारे आने वाली पीढ़ियों को हमेशा बताता रहेगा कि हम विज्ञान के क्षेत्र में कितने प्रगतिशील हैं। इस दिन भारत की ताकत संपूर्ण विश्व को पता चल गई थी इसलिए इसकी अपनी महत्ता है।


साल 1998 में भारत देश ने राजस्थान के पोखरण में ऑपरेशन शक्ति के तहत सफल परमाणु परीक्षण किया था। पोखरण में कुल 5 परीक्षण हुए थे। जिसमें से तीन 11 मई को किए गए एवं दो परीक्षण 13 मई को किए गए थे।

11 मई को आयोजित हुए परीक्षणों में 5.3 रिक्टर पैमाने पर भूकंपीय कंपन दर्ज करते हुए तीन परमाणु बम विस्फोट किए गए। तब से ही भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस(National Technology Day) मनाने की शुरुआत हुई। इसके बाद फिर 13 मई को दो न्यूक्लियर टेस्ट किए गए। इन परीक्षणों का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था।

और इसके बाद 11 मई 1999 में National Technology Day को पहली बार मनाया गया। बस तब से ये दिन हर साल मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी ने की थी और इस दिन को देश के लिए बड़ी उपलब्धि बताया था।

ये है दिवस का विषय

सन् 1999 से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत होने के साथ इस वर्ष का विषय 'एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी' है। बता दें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय हर साल इस दिन का आयोजन करता है। और साथ ही इसके लिए तय किए गए विषय पर काम भी करता है। वहीं सालभर की योजनाओं पर विचार-विमर्श भी होता है।


बता दें, 11 मई 1998 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने त्रिशूल मिसाइल का आखिरी टेस्ट-फायर को पूरा करके उसे भारतीय वायु सेना ने अपनी सेवा में शामिल किया। ये सतह से हवा में वार करने वाली, शीघ्र प्रतिक्रिया देने वाली, लघु-सीमा की मिसाइल त्रिशूल भारत के समन्वित गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम की एक इकाई थी। जिसके चलते पृथ्वी, आकाश और अग्नि मिसाइल प्रणाली का भी गठन हुआ है।

 डीआरडीओ ने त्रिशूल मिसाइल का सफल परीक्षण भी इसी दिन किया था। यह एक ऐसी मिसाइल है जो अपने लक्ष्य पर तेजी से हमला करती है। और तो और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day) के दिन ही Hansa-1 जो भारत का पहला एयरक्राफ्ट था, उसने भी उड़ान भरी थी।

ऐसे बना भारत में थर्मोन्यूक्लियर हथियार


पहली बार हुए इस परीक्षण के बाद से लेकर आज तक टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स को तकनीकी क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित और प्रोत्साहित करता है। पोखरण का सफल परिक्षण वैज्ञानिकों, डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation), भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) और AMDER (Atomic Minerals Directorate for Exploration and Research) ने मिलकर किया था। और इसी वजह से भारत थर्मोन्यूक्लियर हथियार बना पाया था।

प्रौद्योगिकी दिवस को तकनीकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक जांच और समाज, उद्योग और विज्ञान के एकीकरण में खोज का उज्जवल प्रतीक माना जाता है। बता दें, इस अवसर पर तकनीकी संस्थानों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

वहीं दिवस को यादगार बनाने के लिए प्रस्तुतियां, क्विज, व्याख्यान, विज्ञान प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति विज्ञान के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए व्यक्तियों और कंपनियों को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार भी दिए जाते हैं।

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