29 अक्टूबर भी है बहुत खास, इस दिन धूप-दीप व दान का मिलता है अक्षय पूण्य

Update:2017-10-26 09:07 IST

जयपुर:अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। जहां इस दिन दक्षिण और पूर्व भारत में जगधात्री पूजा मनाई जाती है वहीं उत्तर और मध्य भारत में अक्षय नवमी मनाई जाती है। अक्षय नवमी को कई जगहों पर आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है।

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मान्यता है कि इस दिन अच्छे कार्य करने से कई जन्मों तक पुण्य का फल मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ में भगवान विष्णु और शिव का वास होता है। इसलिए इस दिन सुबह-सुबह आंवले के पेड़ के चरों तरफ सफाई करनी चाहिए। साथ ही आंवले के पेड़ की धूप-दीप और फूल आदि से पूजा करनी चाहिए।

इस दिन आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और फल चढ़ाना पुण्य फलदायी माना गया है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन पूजा करने से जन्म-जन्मांतर तक पुण्य का फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन जो भी व्यक्ति दान-पुण्य करता है, भूखों को भोजन कराता है उसे अगले जन्म में भी पुण्य का फल मिलता है।

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इतना ही नहीं जो मनुष्य अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराता है वो अगले जन्म में भी पुण्य का भागी बनता है। इस साल यह पूजा यानि अक्षय नवमी 29 अक्टूबर को है।

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