इस से शुरू होगा आर्द्रा, इससे जुड़ा है वर्षा का आरंभ, जानिए इसका महत्व

Update:2018-06-24 07:45 IST

जयपुर:ज्योतिष शास्त्र में आर्द्रा नक्षत्र को बारिश का कारक नक्षत्र माना गया है। माना जाता है की इस नक्षत्र से वर्षा का आरंभ हो जाता है। आर्द्रा नक्षत्र सभी 27 नक्षत्रों में छठा नक्षत्र होता है। ज्योतिष के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र 22 जून 2018 (शुक्रवार) को आर्द्रा नक्षत्र का आरंभ हो चुका है। जो आगामी 6 जुलाई (शुक्रवार) तक रहेगा। जो इस बार आर्द्रा में बारिश बिलकुल सामान्य होगी।

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आर्द्र नक्षत्र के संबंध में मौसम वैज्ञानिक महा कवि घाघ ने लिखा है- आवत आदर नहिं दियौ, जात न दिन्हे हस्त, कहे घाघ दोनों गयो, पाहुन अरु गिरहस्त। अर्थात् आर्द्रा नक्षत्र के आगमन और हस्त नक्षत्र के जाते-जाते तक यदि इन दोनों नक्षत्रों ने जल नहीं बरसाया तो गृहस्त और खेतिहर बर्बाद हो जाएंगे।

क्या दान करें

बांस की डाली में चूड़ा, मिठाई और धातुफल आम, लीची, केले के पत्ते से ढक कर ब्राह्मण को दान करना शुभ माना गया है।

शांति

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक के ग्रह की शांति की पूजा पीपल और पाकड़ के पेड़ की छाया में करने से दोष खत्म होता है।शिवपुराण और वृहत संहिता के अनुसार पीपल और पाकड़ के पौधे लगाने और पूजन से राहु, शनि और कालसर्प की शांति होती है।

केले के पत्ते पर गुड़ की खीर, आम और लीची, खोवा की मिठाई आदि।

मत्स्य पुराण और मनुस्मृति के अनुसार-दही, खटाई और मांसाहार भोजन नहीं करना चाहिए।

शरीर के किसी भी अंग का ऑपरेशन नहीं कारवाना चाहिए।

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