लखनऊ: हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार, होलिका दहन सूर्यास्त के बाद जब पूर्णिमा तिथि हो तभी करना चाहिए। भद्रा, जो पूर्णिमा के पहले व्याप्त होती है, उस समय होलिका पूजन नहीं करना चाहिए। सभी शुभ काम इस समय वर्जित रहते है।
होलिका दहन मुहूर्त
समय -18.30 से 20.53, - 2घंटे 22 मिनट
भद्रा पूंछ- 22 मार्च को 23.45 से 01.04
भद्रा मुख-01.04 से 03.14
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रंग-गुलाल की होली
24 को रंग वाली होली खेली जाएगी। ऐसा पूर्णिमा के दो दिन होने की वजह से है। इस तिथि का प्रारम्भ- 22 मार्च को 15.12 बजे इसकी समाप्ति-23 मार्च को 17.30बजे तक है।
मुहूर्त में ध्यान रखें ये बातें
ज्योतिषाचार्य सागरजी महाराज के अनुसार, मुहूर्त के लिए पूर्णिमा भद्रा से रहित प्रदोष हो ऐसा समय होलिका दहन के लिये उत्तम माना जाता है। यदि ऐसा नहीं हो, भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक रहे तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ (भद्रा के समाप्ति का समय )के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है, लेकिन भद्रा मुख में होलिका दहन कभी नहीं करना चाहिए।
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होलिका दहन का वैज्ञानिक महत्व
होली के त्योहार को एकदिन पहले होलिका दहन की परंपरा है। वैज्ञानिक रूप से इससे वातावरण सुरक्षित और स्वच्छ होता है, क्योंकि सर्दियों और वसंत के मौसम में बैक्टीरिया अधिक पनपते है। होलिका दहन के कारण इस दिन से तापमान 145 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाता है जो बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कीटों को मारता है। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।