36 अक्षरों का ये मंत्र, करेगा आपके हर कार्य को सिद्ध, सात्विकता से करें जाप
जयपुर:तंत्र की सभी 10 विद्याओं (1। काली 2। तारा 3। षोड़षी 4। भुवनेश्वरी 5। छिन्नमस्ता 6। त्रिपुर भैरवी 7। धूमावती 8। बगलामुखी 9। मातंगी 10। कमला) में माता बगलामुखी को दसवीं विद्या माना गया है। ऐसी मान्यता है कि माता बगलामुखी की शक्तियों के सामने समस्त ब्रह्मांड की शक्ति टिक नहीं सकती। इसलिए शत्रुओं पर विजय प्राति, शत्रु भय से मुक्ति व प्रभावशाली वाक-शक्ति की प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की साधना की जाती है।इस साधना में एक खास संख्या में बगलामुखी मंत्र के जाप का विधान है। सामान्य शत्रु बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र का कम से कम 10 हजार बार जाप करना करना चाहिए, लेकिन अगर कोई बहुत बड़ी शत्रु बाधा हो या शत्रुता में जीवन-मरण का प्रश्न हो तो ऐसे में कम से कम 1 लाख बार इस मंत्र का जाप करने वाला कभी भी शत्रु से हारता नहीं। ऐसे व्यक्ति को हर प्रकार के वाद-विवाद में विजय मिलती है और वह अपनी बातों को सही सिद्ध कर पाता है।
36 अक्षरों का अचूक बगलामुखी महामंत्र
ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा
इस मंत्र को अचूक माना जाता है। इसलिए जो कोई भी इसकी जप संख्या में जाप कर इसकी सिद्धि करता है उसे किसी प्रकार भी जीवन में आकस्मिक परेशानी और हार का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे व्यक्तियों के किए हुए हुए प्रयास कभी निष्फल नहीं होते, साथ ही उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। लेकिन अलग-अलग समस्याओं के लिए इसके अलग-अलग मंत्र भी हैं।
भय नाशक मंत्र: ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन
शत्रु नाशक: ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
नजर उतारने का मंत्र: ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय
प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता पाने का मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:
संतान रक्षा मंत्र: ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष
लंबी आयु का मंत्र: ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:
शक्ति वृद्धि मंत्र: ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ
सर्व सुरक्षा कवच मंत्र: ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम
बगलामुखी मंत्रों के साथ हवन करने पर आपको इसका फल ज्यादा जल्दी मिलता है।
धन, प्रसिद्धि तथा ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए दूध में भिगोया हुआ तिल व चावल को हवन में डालें। संतान प्राप्ति के लिए हवन में अनार और कनेर के पत्ते जरूर डालें। रोगों से मुक्ति पाकर आरोग्य की प्राप्ति के लिए हवन में किसी भी प्रकार से कुम्हार से लाई हुई चाक की मिट्टी, अरंड की लकड़ी (एक हाथ जितनी लंबी हो), अपनी सुविधा और इच्छानुसार शहद या चीनी में भुना चावल अवश्य प्रयोग करें।
पूर्व में शत्रु के प्रभाव से आज भी आपकी इमेज अगर नकारात्मक बनी हुई हो, तो इस हवन में गुग्गुल और तिल का इस्तेमाल करें। पूर्व में अपने किसी बुरे कार्य के कारण सामाजिक सम्मान खोने की स्थिति में भी आपको यही करना चाहिए।
किसी को वशीकृत करना हो या किसी से अपनी बात मनवानी हो तो थोड़े से शहद में तिल मिलाएं। इसे हवन में डालें। इसकी जगह आप सरसों के दाने भी प्रयोग कर सकते हैं।सभी प्रकार के शत्रुओं से मुक्त होने के लिए इसमें हरिताल, नमक और हल्दी की गांठे डालें।
इन बातों पर जरूर ध्यान दें
इस मंत्र का जाप रात्रि में करें (संभव हो तो रात्रि 10 से 4 के बीच)। इसके अलावा साधना के दौरान पीले वस्त्र धारण करें साधना के दिनों में बाल ना कटवाएं, ब्रह्मचर्य का पालन करें और केवल एक समय ही भोजन करें। सात्विक भोजन करें तो और भी अच्छा है।