मोली में होता है त्रिदेव का वास, जानें कलाई पर बांधने के पीछे का धर्म-विज्ञान

Update: 2016-08-06 12:07 GMT

लखनऊ: किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले और बाद में कुछ परंपराओं का निर्वाह करना पड़ता है। जैसे आचमन, तिलक और कलावा बांधना। जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो तिलक लगाते है, कलावा(धागा,मोली) बांधते हैं। वैसे भी हिंदू धर्म में पूजा के बाद कलाई पर धागा (मोली) बांधने की परंपरा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि धागा बांधना केवल परंपरा में शुमार नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभवर्द्धक है।

धार्मिक मान्यता

धर्म शास्त्रों के अनुसार जब भी आप पूजा करते समय कलाई पर धागा बांधते है। तो वो एक तरह से हमारा रक्षा कवच होता है। इसकी शुरुआत मां लक्ष्मी और राजा बाली ने की थी। इस धागे को रक्षा कवच कहा जाता हैं। मानते है कि इसको बांधने से किसी भी तरह के संकट टल जाते हैं। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास रहता है। इससे हर तरह से तरक्की का रास्ता खुलता है।

साइंस की धारणा

विज्ञान के अनुसार कलाई पर धागा बांधने से नसों को गति मिलती है। वो अपने काम को नियंत्रित ढंग करते हैं और कलाई में धागा बांधने से दिल की बीमारी, हार्ट-अटैक और मधुमेह जैसी बीमारियों से निजात मिलता हैं। ये सत्य भी है क्योंकि इसको वैज्ञानिकों ने भी माना है। लड़के और लड़कियों को धागा अलग-अलग कलाईयों पर बांधा जाता है। मसलन पुरुषों को दायें और महिलाओं को बायें हाथ की कलाई पर धागा बांधा जाता है। कहते हैं इससे आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है।

Tags:    

Similar News