आज के समय में ज्यादातर लोगों को सुख पाने के लिए अधिक श्रम करना पड़ता है। फिर भी बहुत ही कम लोग सफल हो पाते हैं। व्यक्ति को कुछ कामों में तो सफलता मिल जाती है, लेकिन कुछ कामों में असफलता का मुंह भी देखना पड़ता है। यदि आप सफलता का प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं तो चाणक्य बताए मार्ग पर चलना बेहतर है। चाण्कय की इस नीति का ध्यान रखेंगे तो आपको ज्यादातर कार्यों में सफलता मिल सकती है। हम जब ज्यादा कामों में सफल होंगे तो धन संबंधी लाभ भी मिलेगा और इस प्रकार धन संचय होने लगेगा।
कौन हैं चाणक्य
प्राचीन समय में आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थे। चाणक्य की राजनीति में गहरी पकड़ थी। इनके पिता का नाम आचार्य चणीक था, इसी वजह से इन्हें चणी पुत्र चाणक्य भी कहा जाता है। संभवत: पहली बार कूटनीति का इस्तेमाल आचार्य चाणक्य द्वारा ही किया गया था। जब इन्होंने अपनी कूटनीति के बल पर सम्राट सिकंदर को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। अपनी कूटनीति से ही इन्होंने चंद्रगुप्त जैसे सामान्य बालक को पूरे भारत का सम्राट भी बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा श्रेष्ठ जीवन के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ रचा गया है। इसमें दी गई नीतियों का पालन करने पर जीवन में सफलताएं प्राप्त होती हैं।
चाणक्य कहते हैं कि-
क: काल: कानि मित्राणि को देश: कौ व्ययागमौ।
कस्याऽडं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुंहु:।।
ये चाणक्य नीति के चतुर्थ अध्याय का 18वां श्लोक है। इस श्लोक में चाणक्य ने कहा है कि हमें कार्यों में सफलता पाने के लिए किन 6 बातों को हमेशा सोचते रहना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखकर काम करेंगे तो जीवन में असफलता का स्वाद कम चखना पड़ेगा।
समय कैसा है
चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है, जिसे इस प्रश्न का उत्तर हमेशा मालूम रहता है। समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान समय कैसा चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वो कार्य करता हैं। यदि सुख के दिन हैं तो अच्छे कार्य करते रहना चाहिए और यदि दुख के दिन हैं तो अच्छे कामों के साथ धैर्य बनाए रखना चाहिए। दुख के दिनों में धैर्य खोने पर अनर्थ हो सकता है।
हमारे मित्र कौन-कौन हैं
हमें अपने मित्रों के बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए, क्योंकि शत्रुओं को तो हम जानते हैं और उनसे बचते हुए ही कार्य करते हैं, लेकिन मित्रों के वेश में छिपे शत्रु का पहचाना बहुत जरूरी है। यदि मित्रों में छिपे शत्रु को नहीं पहचान पाएंगे तो कार्यों में असफलता ही मिलेगी। ऐसे लोगों से भी बचना चाहिए।
यह देश कैसा है
ये देश कैसा है यानी जहां हम काम करते हैं, वो स्थान, शहर और वहां के हालात कैसे हैं। कार्यस्थल पर काम करने वाले लोग कैसे हैं। इन बातों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे तो असफल होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी।
आय और व्यय की सही जानकारी
समझदार इंसान वही है तो अपनी आय और व्यय की सही जानकारी रखता है। व्यक्ति को अपनी आय देखकर ही व्यय करना चाहिए। जो लोग आय से अधिक खर्च करते हैं, वे परेशानियों में अवश्य फंसते हैं। अत: धन संबंधी सुख पाने के लिए कभी आय से अधिक व्यय नहीं करना चाहिए। आय से कम खर्च करेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही सही पर धन संचय हो सकता है।
संस्थान के प्रति ईमानदारी
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा प्रबंधक, कंपनी, संस्थान या बॉस हमसे क्या चाहता है। हम ठीक वैसे ही काम करें, जिससे संस्थान को लाभ मिलता है। यदि संस्थान को लाभ होगा तो कर्मचारी को भी लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
अपने सामर्थ्य की पहचान
अंतिम बात सबसे जरूरी है, हमें ये मालूम होना चाहिए कि हम क्या-क्या कर सकते हैं। वही काम हाथ में लेना चाहिए, जिसे पूरा करने का सामर्थ्य हमारे पास है। यदि शक्ति से अधिक काम हम हाथ में ले लेंगे तो असफल होना तय है। ऐसी परिस्थिति में कार्य स्थल और समाज में हमारी छवि पर बुरा असर होगा।