जयपुर: छठ पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व को महिला और पुरुष समान रूप से मानते हैं। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। पहले दिन यानि चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। दूसरे दिन यानि पंचमी को खरना व्रत किया जाता है।
छठ पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि छठी मइया सूर्यदेव की बहन है। इसलिए छठ पर्व पर छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख है। पांडवों की माता कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम कर्ण था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने के लिए छठ व्रत की थीं।
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इस दिन शाम के समय व्रती प्रसाद के रूप में खीर और गुड़ के अलावे फल आदि का सेवन करती हैं। इसके साथ ही अगले 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि खरना पूजन से छठ देवी खुश होती हैं और घर में वास करतीं हैं। छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी को किसी नदी या जलाशय के में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है।
4 दिवसीय व्रत
नहाय-खाय -24 अक्टूबर (मंगलवार)
खरना -25 अक्टूबर (बुधवार)
अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अर्घ्य 26 अक्टूबर (गुरूवार)
उदीयमान (उगते) सूर्य को अर्घ्य 27अक्टूबर (शुक्रवार)
प्रारंभ- 25 अक्टूबर को सुबह 09:37
षष्ठी तिथि समाप्ति- 26 अक्टूबर 2017 को शाम 12:15 बजे पर
छठ पूजा मुहूर्त समय
छठ पूजा के दिन सूर्योदय - 06:41 बजे सुबह
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त- 06:05 बजे शाम
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