क्रिसमस पर्व: जीसस की शिक्षा से प्रेरणा देते हैं ये तीन रंग

Update: 2017-12-16 02:17 GMT

सहारनपुर: दिसंबर का महीना करीब-करीब आधा गुजर चुका है। आज से ठीक कुछ दिन बाद क्रिसमस पर्व विश्वभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। लोगों ने इस पर्व को मनाने की तैयारी भी कर दी है। क्रिसमस पर्व पर तीन रंगों का विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है। इन रंगों में लाल रंग, हरा रंग और सुनहरा यानि गोल्डन कलर का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है, लेकिन इन तीन ही रंगों का प्रयोग क्यों किया जाता है; यह हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे। इन रंगों के बारे में जीसस क्राइस्ट ने हमें तीन शिक्षाएं दी हैं। जानते हैं कि तीन रंगों के बारे में जीसस ने कौन सी​ शिक्षा दी है।

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लाल रंग

यह रंग यीशु के खून का प्रतीक है। इसके अलावा उनका दूसरों के प्रति बेपनाह प्यार भी लाल रंग को दर्शाता है। वे हर किसी को अपना बेटा मानते थें और बिना शर्त के उन्हें प्यार करते थे। लाल रंग मानवता का पाठ भी पढ़ता है। यह खुशी भी प्रदान करता है क्योंकि जिस जगह पर ढेर सारा प्यार होगा वहां पर खुशी अपने आप ही आ जाएगी।

हरा रंग

हरा रंग, प्रकृतिक को संबोधित करता है, जो कि इतनी सर्दी में भी अपने रंग को बरकरार रखने में कामयाब रहते हैं। ईसाई धर्म में माना जाता है कि हरा रंग प्रभू यीशु के शाश्वत जीवन का प्रतीक है। यीशु को भले ही जबरदस्ती मार दिया गया हो लेकिन वह आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं और हमेशा रहेंगे भी। इसलिये हरे रंग का मतलब होता है जिंदगी।

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सुनहरे रंग

सुनहरे रंग का अर्थ किसी को भेंट देना। यीशु के जन्म पर जो तीसरे राजा आए थें, उन्होंने भेंट में सोना दिया था। भगवान ने गरीब मरियम को अपने बेटे को जन्म देने के लिये चुना। मरियम और यूसुफ ने यीशु को बचाने के लिये सभी बाधाओं का सामना किया। यह बताता है कि हर कोई भगवान के सामने बराबर है। यह एक उपहार था, जिसे भगवान ने मानव जाति को दिया था।

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