जयपुर: पूजा पाठ के कई नियम होते है जिनका सही तरीके से पालन हमें सत्कर्मों की ओर ले जाता है। लेकिन कभी हम आज्ञानतावश गलती कर जाते है। जिसका पूर्ण परिणाम नहीं मिलता है।ये नियम साधारण होते है लेकिन हम उसे नजरअंदाज कर जाते हैं।
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पूजा के समय हम भगवान को दीपक जलाते है पर दीपक के नीचे चावल रखना भूल जाते है या हमें जानकारी नहीं होती है। चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है और दीपक को पूर्णता का। हिन्दू धर्म में दीपक को देवरूप माना है। इसीलिए किसी भी तरह की पूजा शुरू करने से पहले दीपक का तिलक लगाकर पूजन किया जाता है। उसके बाद दीपक को आसन दिया जाता है यानी दीपक को स्थान दिया जाता है।
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दीपक के नीचे चावल ना रखें जाने पर इसे अपशकुन माना जाता है। यदि दीपक के नीचे चावल नहीं हो तो दीपक अपूर्ण होता है। माना जाता है कि यदि दीपक को आसन देकर पूजा में ना रखा जाए तो भगवान भी पूजन में आसन ग्रहण नहीं करते। साथ ही चावल को लक्ष्मीजी का प्रिय धान भी माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि पूजन के समय दीपक को चावल का आसन देने से घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मां के सामने चावल की ढेरी बनाकर उसके ऊपर घी का दीपक लगाने से धन लाभ होता है।