लखनऊ: अभी त्योहारों का सीजन चल रहा है तो हर दिन मूड फेस्टिवल जैसा रहता है। वैसे तो ये त्योहार खुशियां ही लेकर आते हैं। जहां एक-एक कर सारे पर्व होते जा रहे हैं वैसे ही दूसरे के आने की खुशी में लोग तैयारी में जुट जाते हैं। दीवाली हिंदूओं का एक ऐसा त्योहार है जो पूरे देश में मनाया जाता है इसके बारे में सब जानते हैं। प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत-सत्कार किया था। तभी से कार्तिक की अमावस्या की काली रात रोशन हो गई।
अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर तरफ फैलने लगा। इसलिए दीवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दीवाली का त्योहार जब आता है तो साथ में अनेक त्योहार लेकर आता है। सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी दीवाली से बढ़कर कोई त्योहार नहीं होता, इसलिये इस अवसर पर लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्योहार दीवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर तरह से दीवाली बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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दीवाली और लक्ष्मी पूजा
दीवाली के दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने का दिन होता है इस दिन उनकी पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें, इसके लिए दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :18:27 से 20:09 तक, प्रदोष काल- 17:33 से 20:09, वृषभ काल- 18:27 से 20:22, अमावस्या तिथि आरंभ- 20:40 (29 अक्तूबर), अमावस्या तिथि समाप्त- 23:08 (30 अक्टूबर)। वैसे लग्न और मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देखना चाहिए।