लखनऊ: जब द्रौपदी ने तीर की शय्या पर पड़े भीष्म पितामह से पूछा कि जब चीर हरण हो रहा था तब आपने क्यों नहीं विरोध किया । इसके जवाब में भीष्म पितामह ने कहा था कि वे कौरवों का अन्न खा रहे थे और अधर्म के साथ थे। उस वक्त उन्हें कुछ भी गलत नहीं लग रहा था। सही कहा था। वैसे भी शास्त्रों में कहा गया है इंसान जैसा खाता है वैसा ही उसकी प्रवृति हो जाती है।
गरुड़ पुराण में साफ- साफ कहा गया है कि इन-इन लोगों के घर और हाथ का बना खाना नहीं खाना चाहिए। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि कोई कितना भी घनिष्ठ क्यों ना हो अगर उसमें कोई भी अवगुण होतो उसके यहां भोजन नहीं करना चाहिए।
क्रोधी-निर्दयी के घर का खाना ना खाएं
निर्दयी मनुष्य के घर का खाना नहीं चाहिए। क्रोधी के हाथ का खाना भी खाने से बचना चाहिए। इनके साथ या घर का भोजन करने से विचार दूषित होते है। क्योंकि इन लोगों को अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं रहता है।
चरित्रहीन स्त्री के हाथ का खाना दूषित
गरुड़ पुराण में लिखा है कि चरित्रहीन औरत के हाथ का बना खाना खाने से पाप के भागीदार बनते है। इसलिए उनके हाथ का खाना नहीं चाहिए।
चुगलखोर के घर का
वैसे लोग जो केवल चुगली करना जानते है। उनके साथ उठना-बैठना और भोजन करना निषेध है। वैसे लोगों के साथ कभी भी फंसने का भय रहता है।
रोगी के हाथ का खाना
रोगी का खाना नहीं खाना चाहिए। इससे बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि रोगी के हाथ का खाना बनने से संक्रमित हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति गंभीर रोग से पीड़ित होता है या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे कोई असाध्य रोग अपनी चपेट में लिए हुए है, उसके घर भोजन करने से आप भी उस रोग की चपेट में आ जाते हैं।
अपराधी-चोर के घर का खाना जहर समान
अगर समाज में किसी की व्यक्ति की छवि खराब है । वो चोर या अपराधी है तो उसके घर कभी भी किसी मौके पर खाना नहीं खाना चाहिए। उसके घर का खाने से विचार गंदे होते है।
किन्नर का खाना
कहा जाता है कि किन्नरों को हर तरह के लोग दान देते है। उन्हें दान करने का विशेष विधान है इसलिए उनके यहां खाना खाना वर्जित है। हमारी संस्कृति और धर्म-ग्रंथों में किन्नरों को दान करना शुभ बताया गया है, लेकिन जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है वह अच्छे व्यक्ति का है या बुरे, इसलिए किन्नरों के घर भोजन करना निषेध है।
सूदखोर के घर का खाना दूषित
ब्याज खाने वालों के घर का भोजन निषेध माना गया है। उनका पैसा, गरीब-मजबूर के खून से कमाए पैसे से बना है। इससे गलत आचार-विचार आता है।