पापों से मिलेगी मुक्ति,अगर करते हैं षट्तिला एकादशी का व्रत

Update: 2018-01-10 00:25 GMT

जयपुर: माघ माह भगवान श्रीहरि विष्णु का प्रिय माह माना गया है। इस पवित्र माह में व्रत-तप का बड़ा महत्व है। इस माह कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु की आराधना से मोक्ष का वरदान प्राप्त होता है।षट्तिला एकादशी व्रत प्रतिवर्ष माघ महीना की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन तिल दान का बड़ा ही महत्त्व है तिल का उपयोग इस प्रकार से किया जाता है।

षटतिला एकादशी का उपवास अन्य एकादशी से थोड़ा अलग है। हिन्दू धर्म में तिल को पवित्र माना जाता है। इस दिन तिल का इस्तेमाल स्नान, प्रसाद, भोजन, दान, तर्पण हवन आदि में किया जाता है। इसी कारण इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

 

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इस एकादशी पर ब्राह्मण को घड़ा, छाता, तिल से भरा बर्तन दान करना चाहिए। यदि संभव हो तो काली गाय दान में देनी चाहिए। इस दिन काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष त्याग कर भगवान का स्मरण करें। इस व्रत के प्रभाव से शारीरिक शुद्धि और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। अन्न, तिल दान करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।

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