लखनऊ: रमजान का पाक महिना दुनियाभर के मुसलमानों के लिए इबादत और रोजा रखने का महीना है। इस दौरान इफ्तार और सहरी के समय घर के सभी लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। इसके अलावा रमजान के महीने में रोजा रखने के चलते लोगों की दिनचर्या एकदम बदल जाती है। इसलिए सहरी और इफ्तार के दौरान खान-पान में खासी एहतियात बरतनी चाहिए। मुकद्दस माह ए रमजान के महीने के दौरान रोजेदारों की दिनचर्या बदल जाती है। रात के समय करीब 2.30बजे से 3.30 बजे के बीच सहरी का वक्त होने के चलते खाना खाने से बदहजमी और खट्टी डकारों की शिकायत होना आम बात है।
रमजान के शुरुआती दौर में रोजे की आदत न होने के चलते कुछ दिनों तक लोगों को पेट से जुड़ी बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। इफ्तार के समय ज्यादा खाना खाने से रोजा रखे होने के बावजूद वजन भी बढ़ जाता है। रोजेदार इफ्तार के समय चाट पकौड़ी, समोसे, छोले, चिप्स, जलेबी सहित कई ऐसे तले और मसालेदार पकवानों का इस्तेमाल करते हैं जिससे वजन बढ़ने का खतरा बना रहता है।
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डॉ.संजीव मिगलानी के अनुसार तेल और मसाले की मात्रा अधिक खाने से शरीर का वजन तो बढ़ता है, लेकिन पोषण नहीं मिलता। रमजान में अच्छी सेहत रखने के लिए और अपने शरीर को कमजोरी और मोटापे से बचने के लिए इफ्तार और सहरी के समय खूब पानी पियें। फलों का सेवन करें। तेज धूप से बचाना चाहिए। नींद पूरी करने पर खास ध्यान देना चाहिए। पर्याप्त नींद नहीं लेने पर बीमार होने का खतरा बना रहता है। डॉ.मिगलानी का कहना है कि इफ्तार और सहरी के बाद लोगों को दांत साफ करना नहीं भूलना चाहिए। इफ्तार से 15-20 मिनट पहले टहलने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है।
हॉर्ट और शुगर के मरीज रखें ध्यान
शहर के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ.संजीव मिगलानी कहते हैं कि रमजान के महीने में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर डायबटीज और हॉर्ट के मरीज को खाने पीने में जरुरी अहतियात बरतने चाहिए। इफ्तार और सहरी के समय तले और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए। तेज और मसालेदार, तले खाने से दिल के रोगियों की परेशानी बढ़ने का खतरा बना रहता है।
रमजान में घटा सकते हैं वजन
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कलीम अहमद का कहना है कि रमजान के महीने में ना सिर्फ इबादत का बल्कि शरीर को गैरजरूरी खानपान से बचाने का मौका मिलता है। पाचन तंत्र को भी आराम मिलता है। जो लोग अपने शरीर का वजन कम करना चाहते हैं वो रमजान के महीने का फायदा उठाएं। वजन कम करने के लिए मीठे और तले हुए खाना खाने से बचना चाहिए। इससे शरीर की अनचाही चर्बी कम होती है।
महिलाएं रखें खास ध्यान
महिला एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ.ननिता चंद्रा का कहना है कि माह ए रमजान में गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को रोजा नहीं रखना चाहिए। जून माह में 15 घंटे से अधिक समय तक रोजेदारों को बिना खानपान के भूखा-प्यासा रहना पड़ रहा है। ऐसे में गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को रोजा रखने से बचने की सलाह दी जाती है। जो महिलाएं रोजा रखती हैं वह अपनी खुराक में कैल्शियम को जरूर शामिल कर लें। महिलाओं को सेहरी और इफ्तार के समय दूध और दही का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।