लखनऊ: देश में मनाएं जाने वाले त्योहारों में गणेश चतुर्थी एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है। भगवान गणेश को हिंदू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। वैसे तो इस पर्व को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र की गणेश चतर्थी की बात ही निराली है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। इस बार 5 सितंबर से गणेशोत्सव शुरु होने वाला है।
गणेश चतुर्थी को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा क्षेत्र में मनाया था। दंत कथाओं में ये बतलाया जाता है कि इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में गणेश जी का जन्म हुआ था।
सबसे प्रचलित कथा ये है कि एक बार भगवान शिव कहीं बाहर गए हुए थे, उनकी अनुपस्थिति में देवी पार्वती ने अपने शरीर पर उबटन लगाया। उबटन को छुड़ाकर उन्होंने एक मूर्ति बना दी, उससे बाल गणेश का सृजन हुआ। इसके बाद, देवी पार्वती नहाने के लिए चली गई और उन्होंने बाल गणेश को अपने दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा।
बाल गणेश, दरवाजे पर पहरा देने लगे कि तभी भगवान शंकर आ गए। उन्होंने अंदर जाने का प्रयास किया तो गणेश ने उन्हें रोक दिया। भगवान शंकर को गुस्सा आ गया, उन्होंने गणेश का सिर, धड़ से अलग कर दिया। तब तक माता पार्वती निकल आई।
उन्हें देखकर क्रोध आ गया। उन्होने कालीं का रूप धर लिया। भगवान शंकर ने पूरी बात सुनने के बाद क्षमा मांगी और गणेश को जीवित करने का हल ढूंढा।उन्होंने अपने गणों से कहा किसी ऐसे बच्चे का सिर ले आना, जिसकी मां उसकी तरफ पीठ करके सो गई हों। गण, एक हथिनी के बच्चे का सिर ले आएं, जो दूसरी ओर मुंह करके सोई थी। भगवान शंकर ने उस सिर को गणेश के धड़ से जोड़ दिया।
इस प्रकार, बाल गणेश पुन: जीवित हो गए और माता पार्वती प्रसन्न हो गई। तब से इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं। पूरे महाराष्ट्र में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।