शुभ दीपावली: नहीं होगी घर में धन की कमी, अगर इस मुहूर्त में करेंगे गणेश-लक्ष्मी का पूजन
लखनऊ: दीपावली की शुभ घड़ी आ चुकी है। दीपावली का त्योहार पांच दिन तक मनाया जाता है। यह पांच दिवसीय है। हिंदुओं में दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष विधान है और माना जाता है कि वृषभ लग्न व सिंह लग्न के मुहूर्त में ही लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए क्योंकि ये दोनों लग्न, भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्थिर लग्न माने जाते हैं। इसलिए स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में किस दिन किस मुहूर्त में पूजा करना शुभ होगा, इस बारे में बता रहे हैं पंडित सागर महाराज-
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 6:27 से 8:09 बजे
अवधि = 1 घंटा 42 मिनट्स
प्रदोष काल = 5:33 से 8:09 बजे
वृषभ काल = 6:27 से 8:22 बजे
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अमावस्या तिथि प्रारम्भ = 29/अक्टूबर/2016 को 8:40 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = 30/अक्टूबर/2016 को 11:08 बजे
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) = 07:58 - 12:०5 बजे
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) = 01:27 - 02:49 बजे
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) = 5:33 - 10:27 बजे
आगे की स्लाइड में जानिए निर्धारित मुहूर्त में क्यों करनी चाहिए लक्ष्मी पूजा
लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारंभ होता है और लगभग २ घंटे 15 मिनट तक रहता है। कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा को करने के लिए महानिशिता काल भी बताते हैं। हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, उनके लिए यह समय ज्यादा उपयुक्त होता है। सामान्य लोगों के लिए हम प्रदोष काल मुहूर्त उपयुक्त बताते हैं।
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लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है, जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाए, तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।
लक्ष्मी पूजा के लिए हम यथार्थ समय उपलब्ध कराते हैं। हमारे दर्शाए गए मुहूर्त के समय में अमावस्या, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं। हम स्थान के अनुसार मुहूर्त उपलब्ध कराते हैं इसीलिए आपको लक्ष्मी पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिए।
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त = 06:36 से 08:47 बजे
अवधि = 2 घंटे 11 मिनट्स
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त = 03:21 से 05:32 बजे
अवधि = 2 घण्टे 11 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ = 30/अक्टूबर/2016 को 11:08 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त = 1/नवम्बर/2016 को 01:39 बजे
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गोवर्धन पूजा का दिन दीवाली पूजा के अगले दिन पड़ता है और इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देवता को पराजित किए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कभी-कभी दीवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतराल हो सकता है।
धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि के दौरान गोवर्धन पूजा उत्सव को मनाने का बताया गया है। हिंदू कैलेंडर में गोवर्धन पूजा का दिन अमावस्या तिथि के एक दिन पहले भी पड़ सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारम्भ होने के समय पर निर्भर करता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।
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महाराष्ट्र में यह दिन बालि प्रतिपदा या बालि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बालि पर विजय और बाद में बालि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्य स्मरण किया जाता है। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।
अधिकतर गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नव वर्ष के दिन के साथ मिल जाता है जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा उत्सव गुजराती नव वर्ष के दिन के एक दिन पहले मनाया जा सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारंभ होने के समय पर निर्भर करता है।
भाई दूज
भाई दूज टीका मुहूर्त = 01:09 से 03:20 बजे
अवधि = 2 घण्टे 10 मिनट्स
द्वितीय तिथि प्रारंभ = 1/नवंबर/2016 को 01:39 बजे
द्वितीय तिथि समाप्त = 2/नवंबर/2016 को 04:11 बजे