वास्तु: ऐसे ना रखें गणेश जी की मूर्ति, पड़ सकता है इसका गलत प्रभाव

Update: 2018-06-01 14:00 GMT

जयपुर:भगवान गणेश प्रथम पूज्य ही नहीं बल्कि विघ्नहर्ता और बुद्धिदाता भी हैं। विघ्नहर्ता गणेश की कृपा से घर के सभी वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वा, पूजा स्थल, किचन और ऑफिस आदि स्थानों के वास्तु दोष गणेश जी की मूर्ति रखने से खत्म हो जाते हैं।लेकिन इन वास्तु टिप्स का सटीक प्रयोग किए जाने की आवश्यकता पड़ती है।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश जी की विभिन्न रंगों की मूर्ति को घर में विशेष स्थानों पर लगाने से वास्तु दोष खत्म होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश जी की सभी मूर्तियाँ घर में नहीं रखनी चाहिए।पूजा स्थल पर एक साथ गणेश जी की तीन मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए। गणेश जी की वही प्रतिमा घर में स्थापित करें, जिसमें उनकी सूंढ़ बाएँ तरफ हो। मूर्ति की ऊंचाई बारह अंगुली से ज्यादा न हो तो बेहतर होगा।

पीत (पाले) वर्ण के गणपति सर्वोत्तम माने जाते हैं। गणेश जी को कभी भी तुलसी दल अर्पित न करें। बच्चों के पढने की मेज पर या बच्चों के कमरे में पीले या हल्के हरे रंग की गणेश जी की मूर्ति लगायें।

ढेर सारी गणेश जी की मूर्तियों का संग्रहण न करें। एक स्थान पर केवल एक ही मूर्ति रखें। शयन कक्ष में भगवान की प्रतिमा बिलकुल न रखें। गणेश जी की तो बिलकुल नहीं। घर के मुख्य द्वार पर अन्दर की तरफ ही गणेश प्रतिमा लगायें,बाहर की तरफ कभी नहीं।

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पूजा के स्थान पर पीले रंग की गणेश जी की प्रतिमा लगाएं। रोज प्रातः पूजा में गणेश जी को दूब अर्पित करें। घर में तमाम गणेश जी की मूर्तियाँ लगाने से बेहतर है कि जगह जगह "ॐ" लिखकर लगाया जाए।

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